Mayawati Biography in Hindi | मायावती की जीवनी: जन्मदिन, आयु, परिवार, मुख्यमंत्री कार्यकाल

By Santosh Kumar

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Mayawati Profile: मायावती, जिन्हें ‘बहनजी’ या ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता है, भारतीय राजनीति की एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने दलित समाज को राजनीतिक और सामाजिक ताकत दी। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का जन्म एक साधारण दलित परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी मेहनत और हिम्मत ने उन्हें उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री बनाने का मौका दिया। आज, 12 अक्टूबर 2025 को उनकी उम्र 69 वर्ष हो चुकी है। इस लेख में हम मायावती के प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, परिवार, राजनीतिक करियर, गेस्ट हाउस कांड, पति के बारे में, उनके द्वारा बनवाए गए पार्क, स्कूल-कॉलेज, नए जिलों, कांशीराम जी के साथ उनके रिश्ते, 9 अक्टूबर 2025 की रैली और निष्कर्ष पर विस्तार से बात करेंगे।

Mayawati-मायावती की जीवनी: दलितों की बेटी से उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री तक का सफर
विवरणजानकारी
नाम कुमारी मायावती
पूरा नामकुमारी मायावती दास
जन्म तिथि15 जनवरी 1956
जन्म स्थानश्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल, दिल्ली
पैतृक गांव बदलपुर, गौतमबुद्ध नगर
वर्तमान आयु (2025)69 वर्ष
पार्टीबहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)
चुनाव चिन्ह हाथी
धर्म हिन्दू
जाति जाटव (अनुसूचित जाति)
पदबीएसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री
उपनामबहनजी, आयरन लेडी

Mayawati Early Life: मायावती का प्रारंभिक जीवन

मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था। उनका पूरा नाम कुमारी मायावती दास है। वे एक जाटव दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो एक समय समाज में सबसे निचले पायदान पर माने जाते थे। उस समय दलित परिवारों को बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ता था। मायावती का जन्म एक बड़े परिवार नेब हुआ जिसमें नौ बच्चे थे – छह भाई और दो बहनें, और खुद मायावती। परिवार की आर्थिक हालत इतनी कमजोर थी कि कभी-कभी दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती।

उनके पिता प्रभु दास एक साधारण डाकघर के डाकिया थे। सुबह उठकर डाक बांटना, शाम को थकान मिटाना – यही उनका रूटीन था। लेकिन प्रभु दास जी का सपना था कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर ऊंचा मुकाम हासिल करें। परिवार में बच्चों की अधिक संख्या ने शिक्षा के लिए कई समझौते कराये। पिता ने अपने पुत्रों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाया और मायावती को सरकारी स्कूल में। पर होनहार मायावती ने अपने जीवन का लक्ष्य तय कर रखा था और मेहनत से पढाई की।

दिल्ली के इंडिया गेट के पास उनका परिवार रहता था। वहां की जिंदगी आसान नहीं थी। मायावती स्कूल जातीं, लेकिन घर लौटकर भाई-बहनों की मदद करतीं। वे अक्सर कहती हैं कि बचपन में उन्हें जातिगत अपमान सहना पड़ा, जैसे स्कूल में ऊंची जाति के बच्चों से अलग बैठना। लेकिन ये अपमान ही उन्हें मजबूत बनाते गए। प्रारंभिक जीवन में मायावती ने देखा कि कैसे दलित समाज को वोट बैंक समझा जाता है, लेकिन अधिकार नहीं दिए जाते। यही वजह थी कि वे डॉ. भीमराव अंबेडकर की किताबें पढ़ने लगीं। अंबेडकर जी की विचारधारा ने उनके मन में आग जला दी।

मायावती का जन्मदिन-2026

मायावती के जन्मदिन को ‘जन कल्याण दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लाखों समर्थक उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और सामाजिक समानता की प्रतिज्ञा दोहराते हैं। 2025 में 69 वर्ष पूरे करने पर भी उनकी राजनीतिक सक्रियता और डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचारों को जीवंत रखने की प्रतिबद्धता प्रेरणादायी बनी हुई है। अगले वर्ष 2026 में मायावती अपना 70वां जन्मदिन मनाएंगी, जो उनके राजनीतिक सफर का एक और स्वर्णिम अध्याय होगा। यह जन्मदिन 2027 के उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

मायावती की शिक्षा

मायावती ने अपनी शिक्षा के बल पर दलित समाज को नई दिशा दी। उन्होंने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद, 1976 में मेरठ विश्वविद्यालय के वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद से बीएड पूरा किया, ताकि वे शिक्षिका बनकर समाज की सेवा कर सकें। 1983 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित विधि संकाय से एलएलबी की उपाधि प्राप्त की।

पढ़ाई के दौरान आर्थिक तंगी और सामाजिक भेदभाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। मायावती दिल्ली के इंद्रपुरी जेजे कॉलोनी में शिक्षिका के रूप में काम करती थीं और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की तैयारी कर रही थीं। तभी 1977 में कांशीराम उनके घर आए और उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। उनकी शिक्षा ने उन्हें आत्मविश्वास और नेतृत्व की ताकत दी, जिसके बल पर वे बहुजन समाज पार्टी की मजबूत नेता बनीं।

मायावती की कांशीराम से पहली मुलाक़ात
डिग्रीसंस्थानवर्ष
बीएकालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय1975
बीएडवीएमएलजी कॉलेज, मेरठ विश्वविद्यालय, गाजियाबाद1976
एलएलबी (लॉ)विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय1983

उनकी शिक्षा का सफर आसान नहीं था। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण किताबें खरीदना मुश्किल होता। लेकिन मायावती ने लाइब्रेरी का सहारा लिया। वे रात-रात भर जागकर पढ़तीं। आज जब वे दलित युवाओं को सलाह देती हैं, तो कहती हैं – “पढ़ो, संगठित हो जाओ, संघर्ष करो।

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मायावती की वर्तमान आयु: 69 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय

2025 में मायावती की उम्र 69 वर्ष है। उनका जन्म 15 जनवरी 1956 को हुआ, तो 2025 में वे 69 की हो गईं। लेकिन उम्र ने उनकी ऊर्जा को कम नहीं किया। वे अभी भी बीएसपी की कमान संभाल रही हैं और 2027 के यूपी चुनावों की तैयारी कर रही हैं। मायावती स्वस्थ रहने के लिए योग और वॉक करती हैं। वे शाकाहारी हैं और सादा जीवन जीती हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वे रैलियों में घंटों खड़ी रहती हैं।

आयु (2025 )69 वर्ष
जन्मतिथि15 जनवरी 1956
जन्मदिवस15 जनवरी

मायावती का परिवार और माता-पिता

मायावती का परिवार उनका सबसे बड़ा सहारा रहा। पिता प्रभु दास जी एक मेहनती इंसान थे। डाकघर में चपरासी की नौकरी करते हुए उन्होंने बच्चों को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे गरीब हैं। मां राम रती जी घर की धुरी थीं। वे बच्चों को कहानियां सुनातीं – अंबेडकर जी की, जिन्होंने दलितों को संविधान दिया। मायावती कहती हैं कि मां ने उन्हें सिखाया कि औरत होकर भी मजबूत बनो।

परिवार में नौ भाई-बहन थे। मायावती सबसे छोटी थीं। उनके भाई-बहन आज भी उनके साथ खड़े हैं। एक भाई आनंद कुमार राजनीति में सक्रिय हैं। मायावती का परिवार बड़ा था, लेकिन एकजुट। वे कभी-कभी परिवार के साथ समय बिताती हैं, लेकिन राजनीति उनकी प्राथमिकता है। माता-पिता का देहांत हो चुका है, लेकिन उनकी सीख आज भी मायावती को प्रेरित करती है। परिवार ने साबित किया कि प्यार और मेहनत से कोई भी सपना पूरा हो सकता है।

मायावती का परिवार और माता-पिता
बहन कुमारी मायावती अपने पिता प्रभुदास और माता राम रती के साथ
सदस्यविवरण
पिताप्रभु दास – डाकघर कर्मचारी (बादलपुर गांव, गौतम बुद्ध नगर के पास)
मांराम रती – गृहिणी
भाई-बहनकुल 8 बच्चे (6 भाई, 2 बहनें + मायावती); सबसे छोटी मायावती
प्रमुख भाईआनंद कुमार – राजनीति में सक्रिय, बीएसपी से जुड़े
पतिअविवाहित – कोई पति नहीं
संतानकोई नहीं
भतीजा (उत्तराधिकारी)आकाश आनंद – आनंद कुमार के बेटे, वर्तमान में बीएसपी नेशनल कोऑर्डिनेटर

मायावती का राजनीतिक करियर

मायावती मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए
मायावती मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए

मायावती भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की तैयारी में जुटी थीं, जब 1977 में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम उनके घर पहुंचे। कांशीराम, जो अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए काम कर रहे थे, ने मायावती को राजनीति में आने की प्रेरणा दी। जीवनी लेखक अजय बोस के अनुसार, कांशीराम ने उनसे कहा कि “वे उन्हें ऐसा नेता बना सकते हैं, जिसके सामने आईएएस अधिकारियों की कतार आदेशों का इंतजार करेगी”। इस मुलाकात ने मायावती के जीवन की दिशा बदल दी और वे दलितों की आवाज बनने के लिए राजनीति में कदम रखने को प्रेरित हुईं। 1985 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। लेकिन हार ने उन्हें तोड़ा नहीं।

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1993 में बीएसपी और समाजवादी पार्टी (एसपी) का गठबंधन हुआ। इससे मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। पहला कार्यकाल जून 1995 से अक्टूबर 1995 तक चला – सिर्फ 6 महीने। लेकिन इस दौरान उन्होंने दलितों के लिए कई कानून बनाए। दूसरा कार्यकाल 1997 में 3 महीने का था। तीसरा 2002-2003 में। लेकिन चौथा कार्यकाल 2007-2012 सबसे लंबा और सफल रहा। इस बार बीएसपी ने अकेले चुनाव लड़ा और 206 सीटें जीतीं। मायावती ने “सर्वजन हिताय” का नारा दिया – सभी वर्गों का भला।

उनके शासन में लैपटॉप वितरण योजना शुरू हुई, जिससे लाखों बच्चों को फायदा हुआ। अपराध दर घटी, बिजली-पानी की व्यवस्था सुधरी। मायावती ने रेलवे स्टेशन, हाईवे बनवाए। वे राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। राजनीतिक करियर में उतार-चढ़ाव आए – 2012, 2014, 2017, 2019, 2022, 2024 के चुनावों में हार मिली। लेकिन 2025 में वे फिर सक्रिय हैं। मायावती का करियर सिखाता है कि राजनीति में धैर्य जरूरी है।

घटना/कार्यकालवर्ष/अवधिविवरण
कांशीराम से प्रेरणा1977कांशीराम ने राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया, आईएएस छोड़ दिया।
बीएसपी में प्रवेश1984बीएसपी की स्थापना में शामिल, पार्टी की कोर टीम में।
पहला चुनाव (हरियाणा)1985कैराना लोकसभा सीट से लड़ीं, हारीं।
दूसरा चुनाव1987हरिद्वार लोकसभा सीट से लड़ीं, हारीं।
लोकसभा चुनाव (पहली जीत)1989बीजीनौर से जीतीं, पहली बार सांसद बनीं।
पहला मुख्यमंत्री कार्यकाल3 जून 1995 – अक्टूबर 1995एसपी-बीएसपी गठबंधन से, 6 महीने, दलित कानून बनाए।
दूसरा मुख्यमंत्री कार्यकालमार्च 1997 – सितंबर 1997बीजेपी समर्थन से, 3 महीने, सामाजिक समरसता पर जोर।
लोकसभा सदस्य (अकबरपुर)1998-2004तीन बार चुनी गईं।
तीसरा मुख्यमंत्री कार्यकालमई 2002 – अगस्त 2003ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचे पर फोकस।
बीएसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष18 सितंबर 2003कांशीराम के उत्तराधिकारी, पार्टी की कमान संभाली।
चौथा मुख्यमंत्री कार्यकालमई 2007 – मार्च 2012अकेले लड़ीं, 206 सीटें जीतीं, लैपटॉप योजना, हाईवे, पार्क बनवाए।
राज्यसभा सदस्य2002-2008, 2010-2012दो बार चुनी गईं।
2012 विधानसभा चुनाव2012बीएसपी को 80 सीटें, हार।
2014 लोकसभा चुनाव2014बीएसपी को 0 सीटें।
2017 विधानसभा चुनाव201719 सीटें।
2019 लोकसभा चुनाव201910 सीटें (गठबंधन में)।
2022 विधानसभा चुनाव20221 सीट।
2024 लोकसभा चुनाव20240 सीटें।
वर्तमान स्थिति2025बीएसपी अध्यक्ष, 2027 चुनावों की तैयारी।

गेस्ट हाउस कांड: मायावती को जलाकर मारने की कोशिश

1995 का गेस्ट हाउस कांड मायावती के जीवन का सबसे काला अध्याय है। जून 1995 में मायावती ने मुलायम सिंह यादव की एसपी सरकार से समर्थन वापस लिया। इससे सरकार गिर गई। गुस्साए एसपी कार्यकर्ताओं ने 2 जून को लखनऊ के राज्य अतिथिगृह में मायावती पर हमला कर दिया। बीएसपी विधायकों को पीटा गया। मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर लीं। चार घंटे तक मौत के साये में रहीं। पुलिस ने देरी से पहुंचकर उन्हें बचाया।

यह घटना पूरे देश में सनसनी बनी। मायावती ने कहा कि यह दलितों पर हमला था। बाद में सीबीआई जांच हुई, लेकिन दोषियों को सजा नहीं मिली। आज भी मायावती इस कांड का जिक्र करके एसपी पर हमला करती हैं। इस कांड ने उन्हें और मजबूत बनाया। वे कहती हैं – “हमले ने मुझे सिखाया कि संघर्ष ही जीवन है।”

गेस्ट हाउस कांड: मायावती को जलाकर मारने की कोशिश
गेस्ट हाउस कांड से सकुशल बचकर बाहर आई

मायावती की वैवाहिक स्थिति

मायावती ने कभी शादी नहीं कीं। वे कहती हैं कि राजनीति ही उनका वास्तविक जीवन है। बचपन से ही वे आईएएस बनना चाहती थीं, लेकिन कांशीराम जी ने कहा – “राजनीति में आओ, दलितों की सेवा करो।” शादी का विचार कभी उनके मन में नहीं आया। कुछ लोग कहते हैं कि कांशीराम जी के साथ उनका रिश्ता भाई-बहन जैसा था, लेकिन बहुत बार अनैतिक अफवाहें फैलीं। मायावती ने हमेशा इनकार किया।

अविवाहित रहकर उन्होंने साबित किया कि औरतें बिना शादी के भी सफल हो सकती हैं। वे परिवार को राजनीति से अलग रखती हैं। उनकी भतीजी की शादी 2023 में हुई, लेकिन दहेज उत्पीड़न का केस भी सामने आया। मायावती का जीवन सादगी भरा है – कोई लग्जरी नहीं, सिर्फ सेवा।

मायावती द्वारा स्थापित पार्क और स्कूल-कॉलेज

मायावती के शासन में पार्क और शिक्षा संस्थान बनवाना उनका सबसे बड़ा योगदान है। वे मानती हैं कि सांस्कृतिक स्थल दलित इतिहास को जीवित रखते हैं। लखनऊ में अंबेडकर मेमोरियल पार्क बनवाया, जो 100 एकड़ में फैला है। इसमें अंबेडकर, कांशीराम, ज्योतिबा फुले की प्रतिमाएं हैं। नोएडा में भी मायावती ने पार्क बनवाए, जिनकी लागत 685 करोड़ बताई जाती है। आलोचक कहते हैं कि पैसा बर्बाद हुआ, लेकिन मायावती कहती हैं – “ये दलित गौरव के प्रतीक हैं।”

शिक्षा के क्षेत्र में भी कमाल किया। महामाया गर्ल्स इंटर कॉलेज, नोएडा (सेक्टर 44) – लड़कियों के लिए हाई-टेक स्कूल। पंचशील बॉयज इंटर कॉलेज, ग़ज़ियाबाद । चार हाई-टेक सरकारी स्कूल 600 करोड़ में बने। इनमें लैब, कंप्यूटर, लाइब्रेरी सब है। मायावती ने कहा – “शिक्षा से ही बहुजन मजबूत होंगे।” आज ये संस्थान हजारों बच्चों को पढ़ा रहे हैं। पार्कों में स्कूल भी बनवाए, ताकि बच्चे खेलते-पढ़ें। ये प्रोजेक्ट्स विकास की मिसाल हैं।

नामस्थानप्रकारविवरण
डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल (अंबेडकर मेमोरियल पार्क)लखनऊपार्क/मेमोरियल25 एकड़ में फैला, अंबेडकर की 27 फुट ऊंची कांस्य मूर्ति, स्तूप, फ्रिज़, हाथी की मूर्तियां; दलित इतिहास को दर्शाता। लागत: 7 अरब रुपये।
बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र (प्रेरणा केंद्र)लखनऊपार्क/मेमोरियलकांशीराम की अस्थियां रखीं, 105 फुट ऊंचा पिरामिड आकार, महाबोधि मंदिर से प्रेरित; अंबेडकर, कांशीराम और मायावती की मूर्तियां।
राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थलनोएडापार्क/मेमोरियलदलित नायकों की कांस्य मूर्तियां, चंद्रशाला मेहराब, चूनर बलुआ पत्थर के स्तंभ; बौद्ध स्थलों से प्रेरित।
मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन (इको) गार्डनलखनऊपार्कपर्यावरण अनुकूल पार्क, कांशीराम के सम्मान में; हरियाली और स्मारक।
गौतम बुद्ध पार्कलखनऊपार्कबौद्ध अनुयायियों के लिए आस्था का स्थान, मायावती ने विरोध किया जब इसमें बदलाव हुए।
महामाया बालिका इंटर कॉलेजनोएडा (सेक्टर 44)स्कूललड़कियों के लिए हाई-टेक स्कूल, आधुनिक लैब, कंप्यूटर; चार हाई-टेक स्कूलों में से एक। लागत: करोड़ों रुपये।
पंचशील बालक इंटर कॉलेजनोएडा (सेक्टर 91)स्कूललड़कों के लिए, राज्य स्तर की सुविधाएं; मायावती का सपना स्कूल, इंग्लिश मीडियम शिक्षा।
गौतम बुद्ध बालक इंटर कॉलेजग्रेटर नोएडास्कूलहाई-टेक सुविधाएं, चार में से एक; गुणवत्ता शिक्षा पर फोकस।
गौतम बुद्ध बालिका इंटर कॉलेजग्रेटर नोएडास्कूललड़कियों के लिए, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर; कुल चार हाई-टेक स्कूलों की लागत 600 करोड़।
कुमारी मायावती गवर्नमेंट गर्ल्स पीजी कॉलेजबदलपुर, गौतम बुद्ध नगरकॉलेज1997 में स्थापित, लड़कियों के लिए यूजी/पीजी कोर्स; मानविकी, विज्ञान, कॉमर्स।
कुमारी मायावती गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निकबदलपुर, गौतम बुद्ध नगरकॉलेज2002 में स्थापित, लड़कियों के लिए तकनीकी शिक्षा; गुणवत्ता प्रशिक्षण।

मायावती द्वारा बनाए गए नए जिले

मायावती ने यूपी को छोटे-छोटे जिलों में बांटा, ताकि प्रशासन आसान हो। 2007-2012 में 22 नए जिले बने। जैसे – अंबेडकर नगर (फैजाबाद से), उद्धम सिंह नगर। प्रबुद्ध नगर (शामली), पंचशील नगर (हापुड़), भीम नगर (संभल)। छत्रपति शाहूजी महाराज नगर (अमेठी)। ये नाम दलित नायकों के सम्मान में रखे। इससे ग्रामीण इलाकों को बेहतर सुविधाएं मिलीं – अस्पताल, स्कूल नजदीक आए। आलोचना हुई कि नाम बदलना गलत, लेकिन मायावती ने कहा – “इतिहास को सही जगह दो।” बाद में कुछ नाम बदले गए, लेकिन योगदान बरकरार।

क्रमांकमूल नाम (बनने पर)वर्तमान नामवर्षगठन का विवरण (मूल जिले से अलग)
1अम्बेडकर नगरअम्बेडकर नगर1995फैजाबाद जिले से अलग।
2उद्धम सिंह नगरउद्धम सिंह नगर1995नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र से (उत्तराखंड गठन से पहले)।
3भंवर कोलकौशाम्बी1997प्रयागराज जिले से अलग।
4मायावती नगरबदायूं1997बदायूं जिले को विभाजित कर।
5रामाबाई नगरआगरा1997आगरा जिले को विभाजित कर।
6संत रविदास नगरभदोही1997मिर्जापुर जिले से अलग।
7ललितपुरललितपुर1997झांसी जिले से अलग।
8चित्रकूट धामचित्रकूट1997बांदा जिले से अलग।
9कौशाम्बीकौशाम्बी1997प्रयागराज से (भंवर कोल का नाम बदलकर)।
10अंबेडकरनगरअंबेडकरनगर1997सुल्तानपुर से (पुनर्गठन)।
11प्रतापगढ़प्रतापगढ़1997इलाहाबाद से।
12छत्रपति शाहूजी महाराज नगरअमेठी2010सुल्तानपुर और रायबरेली से।
13नौगढ़सिद्धार्थनगर2010बस्ती जिले से अलग।
14श्रवस्तीश्रवस्ती2010बलरामपुर जिले से अलग।
15कासगंजकासगंज2011एटा जिले से अलग।
16प्रबुद्ध नगरशामली2011मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से।
17पंचशील नगरहापुड़2011गाजियाबाद जिले से अलग।
18भिमनगरसंभल2011मुरादाबाद और बदायूं से।

कांशीराम और मायावती: गुरु-शिष्य का पवित्र रिश्ता

कांशीराम जी मायावती के जीवन के सूरज थे। 1977 में मायावती आईएएस की तैयारी कर रही थीं। कांशीराम ने कहा – “राजनीति में आओ, बहुजनों को संगठित करो।” वे बीएसपी के संस्थापक थे। मायावती उनकी सबसे करीबी शिष्या बनीं। कांशीराम ने उन्हें ‘बहनजी’ कहा।

उनका रिश्ता गुरु-शिष्य जैसा था। कांशीराम ने मायावती को राजनीति की बारीकियां सिखाईं। 2006 में कांशीराम का निधन हुआ, तो उन्होंने मायावती को उत्तराधिकारी बनाया। मायावती को बदनाम करने के लिए विरोधियों द्वारा अफवाहें फैलीं कि उन दोनों का रिश्ता कुछ और था, लेकिन दोनों ने इनकार किया। मायावती कहती हैं – “साहेब मेरे भाई जैसे थे।” कांशीराम ने बीएसपी को मजबूत बनाया, मायावती ने इसे राष्ट्रीय बनाया। उनका रिश्ता प्रेरणा है।

कांशीराम और मायावती: गुरु-शिष्य का पवित्र रिश्ता

मायावती की 9 अक्टूबर 2025 की रैली: राजनीतिक वापसी का संकेत

9 अक्टूबर 2025 को लखनऊ में मायावती ने कांशीराम जी की 19वीं पुण्यतिथि पर महारैली की। लाखों की संख्या में समर्थक नीले रंग में नजर आए। भतीजे आकाश आनंद, पहली बार मंच पर मायावती के साथ दिखे। मायावती ने एसपी और कांग्रेस पर हमला बोला – “वे दलितों को धोखा देते हैं।” बीजेपी सरकार को धन्यवाद दिया कि रैली की इजाजत दी।

रैली में 2027 चुनावों का ऐलान – “बीएसपी अकेले लड़ेगी।” मायावती ने कहा – “कार्यकर्ता आकाश के साथ खड़े रहें, जैसे मेरे साथ रहे।” यह रैली बीएसपी की ताकत दिखाने वाली थी। चार साल बाद बड़ी रैली ने विपक्षियों में हड़कंप मचा दिया। यह दलित एकता का प्रतीक बनी।

मायावती की 9 अक्टूबर 2025 की रैली

मायावती का कार्यकाल में कानून और व्यवस्था की गारंटी

मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जिस तरह से शासन चलाया वह कानून और व्यवस्था की गारंटी था। विरोधी भले ही उनहें वोट नहीं देते या जाति के कारण उन्हें पसंद नहीं करते लेकिन कानून व्यवस्था के मामले में सभी एक स्वर में कहते मिल जायेंगे शासन हो तो मायावती जैसा। आज तक ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं हुआ जो गांव-गाँव घुमा हो। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सब समय पर ऑफिस पहुँचते थे। प्रदेश को अपराधमुक्त बनाया और राजा बहिया जैसे दंबग को भी काबू में किया।

  1. 2007-2012 कार्यकाल की विशेषता:
    • मायावती का सबसे प्रभावी कार्यकाल 2007-2012 माना जाता है, जब उनकी पार्टी (बसपा) ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। इस दौरान कानून और व्यवस्था को लेकर उनकी सरकार ने सख्त नीतियां अपनाईं।
    • गुंडा एक्ट और अपराध नियंत्रण: मायावती ने गुंडों और माफियाओं पर सख्ती से कार्रवाई की। कई कुख्यात अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट और रासुका (NSA) के तहत कार्रवाई हुई, जिससे अपराध दर में कमी आई।
    • पुलिस सुधार: पुलिस को स्वतंत्रता दी गई, जिससे अपराधियों में डर बना। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में दबंगों और जातिगत हिंसा पर अंकुश लगाने के प्रयास हुए।
    • दलित और कमजोर वर्गों की सुरक्षा: मायावती ने दलितों और अन्य कमजोर वर्गों के खिलाफ होने वाली हिंसा को कम करने के लिए विशेष जोर दिया। SC/ST एक्ट का कड़ाई से पालन करवाया गया।
  2. सकारात्मक पहलू:
    • प्रशासनिक दक्षता: मायावती की सरकार ने जिला स्तर पर प्रशासनिक सुधार किए, जैसे नए जिले बनाना (जैसा कि आपकी पिछली क्वेरी में तालिका में उल्लेखित), जिससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आई।
    • सामाजिक समावेश: उनकी नीतियों ने सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को सुरक्षा और प्रतिनिधित्व का भरोसा दिलाया, जिससे सामाजिक तनाव में कमी आई।
    • महिलाओं की सुरक्षा: मायावती ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सख्ती दिखाई, जिसे कई लोग उनके शासन की मजबूती मानते हैं।
  3. विवाद और आलोचनाएं:
    • सख्ती की आलोचना: कुछ लोगों ने उनकी सख्त नीतियों को “तानाशाही” करार दिया, खासकर विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा।
    • जातिगत पक्षपात का आरोप: कुछ आलोचकों का मानना था कि उनकी नीतियां दलित केंद्रित थीं, जिससे अन्य समुदायों में असंतोष पैदा हुआ।
    • भ्रष्टाचार के आरोप: उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आए, जैसे ताज कॉरिडोर प्रोजेक्ट, जिसने उनकी छवि को प्रभावित किया।
  4. कानून और व्यवस्था की स्थिति:
    • सांख्यिकीय दृष्टिकोण: NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के आंकड़ों के अनुसार, 2007-2012 के दौरान उत्तर प्रदेश में हत्या, डकैती और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में कमी देखी गई। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अपराध अभी भी चुनौती थे।
    • जनता की धारणा: मायावती के शासन को कई लोग, विशेष रूप से दलित और पिछड़े वर्ग, कानून-व्यवस्था के लिए बेहतर मानते थे, क्योंकि उनकी सरकार ने दबंगों पर नकेल कसी।

मायावती से संबंधित साहित्य

क्रमांकपुस्तक का नामलेखकप्रकाशन वर्षभाषासंक्षिप्त विवरण
1मेरा संघर्षमयी जीवन एवं बहुजन आंदोलन का सफरनामा (3 खंड)मायावती2006हिंदीमायावती की आत्मकथा; उनके व्यक्तिगत संघर्ष, कांशीराम के साथ यात्रा और बसपा के उदय पर विस्तार से।
2मेरी संघर्ष से भरे जीवन का एक यात्रा वृत्तांत एवं बहुजन समाज (2 खंड)मायावती2006अंग्रेजीहिंदी संस्करण का अनुवाद; दलित आंदोलन और उनके राजनीतिक जीवन पर फोकस।
3आयरन लेडी कुमारी मायावतीमोहम्मद जमील अख्तर1999हिंदीमायावती के प्रारंभिक राजनीतिक जीवन और ‘लौह महिला’ के रूप में उभरने पर जीवनी।
4बहनजी: ए पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ मायावती (Behenji: A Political Biography of Mayawati)अजॉय बोस2008 (संशोधित 2018)अंग्रेजीमायावती के राजनीतिक उत्थान-पतन का विस्तृत विश्लेषण; बसपा की रणनीतियों और चुनावी इतिहास पर।
5बहनजी: द राइज एंड फॉल ऑफ मायावती (Behenji: The Rise and Fall of Mayawati)अजॉय बोस2018अंग्रेजी2017 चुनावों तक के अपडेट के साथ; मायावती की विरासत और दलित राजनीति पर।
6दलित पुरोधा: फूले से मायावती तक(अज्ञात, संभवतः सामूहिक)2006हिंदीदलित नेताओं की श्रृंखला में मायावती का स्थान; फूले से आधुनिक दलित आंदोलन तक।
7सुष्री मायावती का जीवन संघर्षडॉ. आर.पी. वर्मा(अज्ञात)हिंदीमायावती के जीवन संघर्ष और राजनीतिक योगदान पर केंद्रित जीवनी।

निष्कर्ष

मायावती का जीवन संघर्ष, सफलता और प्रेरणा की कहानी है। गरीबी से निकलकर चार बार सीएम बनीं, दलितों को नई पहचान दी। उनके पार्क, स्कूल, जिले आज भी फल-फूल रहे। गेस्ट हाउस कांड जैसी चुनौतियों ने उन्हें तोड़ा नहीं। कांशीराम जी की सीख और 9 अक्टूबर की रैली से साफ है कि वे अभी रुकने वाली नहीं। मायावती सिखाती हैं – “संगठन, जागृति, संघर्ष।” भविष्य में वे और ऊंचाई छुएंगी।

FAQ: मायावती से जुड़े सवाल-जवाब

मायावती की उम्र कितनी है?

2025 में 69 वर्ष। जन्म 15 जनवरी 1956।

मायावती का पति कौन है?

वे अविवाहित हैं। राजनीति उनकी जिंदगी है।

गेस्ट हाउस कांड क्या था?

1995 में एसपी कार्यकर्ताओं ने मायावती पर हमला किया।

मायावती ने कितने नए जिले बनाए?

लगभग 22, जैसे अंबेडकर नगर, शामली।

9 अक्टूबर 2025 की रैली का महत्व?

कांशीराम की पुण्यतिथि पर, 2027 चुनावों की तैयारी।

मायावती ने कौन-कौन से पार्क बनवाए?

अंबेडकर मेमोरियल, कांशीराम मेमोरियल।

कांशीराम और मायावती का रिश्ता?

गुरु-शिष्य, कांशीराम ने उन्हें उत्तराधिकारी बनाया।

मायावती की शिक्षा क्या है?

बीए, बीएड, एलएलबी।

आर्टिकल स्रोतविकिपीडिया

Santosh Kumar

My name is Dr Santosh Kumar Sain and I am a Government Teacher. I am fond of writing and through this blog I will introduce you to the biographies of famous women.

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