तेलुगु फिल्म राजू वेड्स रंबाई (Raju Weds Rambai) 21 नवंबर 2025 को रिलीज हुई। इस फिल्म से करियर शुरू कर रहे डायरेक्टर साइलू कंपाटी की यह फिल्म 2010 के आसपास तेलंगाना के एक गांव में घटी सच्ची घटना पर आधारित है। अखिल उद्देमारी राजू के किरदार में हैं जो शादियों में बैंड बजाता है, जबकि तेजस्वी राव कॉलेज जाने वाली रंबाई के किरदार में हैं। चैतन्य जॉनलगड्डा ने रंबाई के पिता वेंकन्ना का रोल निभाया है जो शारीरिक अक्षमता के कारण असुरक्षित और गुस्सैल है।

कहानी साधारण लगती है। गांव का लड़का कॉलेज की लड़की से प्यार करता है, दोनों भागने की योजना बनाते हैं, लेकिन लड़की का पिता इसका विरोध करता है। फिल्म सरकारी नौकरी की चाह, शहर की चकाचौंध और परिवारिक दबाव जैसे मुद्दों को छूती है। पहला हाफ हल्की-फुल्की कॉमेडी और रोमांस से चलता है, लेकिन सेकंड हाफ में टोन बदलता है और क्लाइमेक्स में एक झटका लगता है जो दर्शकों को स्तब्ध कर देता है।
परफॉर्मेंस की बात करें तो अखिल उद्देमारी सहज लगते हैं। कॉमेडी और इमोशन दोनों में वे फिट बैठते हैं। तेजस्वी राव ने रंबाई को ईमानदारी से निभाया है। चैतन्य जॉनलगड्डा का गुस्सा और असुरक्षा स्क्रीन पर साफ दिखती है। सपोर्टिंग कास्ट भी ठीक-ठाक है। सुरेश बोब्बिली का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है, खासकर ग्रामीण दृश्यों में।
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Raju Weds Rambai Movie Review
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी संवेदनशीलता की कमी है। पुरुष किरदारों का गुस्सा और टॉक्सिक बिहेवियर कई बार ह्यूमर के नाम पर जायज ठहराया गया लगता है। महिलाओं को ज्यादातर सहन करने वाली या पीड़ित के रूप में दिखाया गया है। सच्ची घटना होने के बावजूद फिल्म में गहराई और इंट्रोस्पेक्शन नहीं है। कई सीन अनावश्यक लंबे हैं और एडिटिंग में कसावट की कमी खलती है।
कुल मिलाकर राजू वेड्स रंबाई एक ईमानदार कोशिश है जो ग्रामीण जिंदगी को दिखाती है, लेकिन क्लाइमेक्स को छोड़कर यह कुछ नया नहीं दे पाती। शॉक वैल्यू पर निर्भर रहने से फिल्म औसत स्तर पर अटक जाती है। अगर आपको रूरल ड्रामा और इमोशनल ट्विस्ट पसंद हैं तो एक बार देख सकते हैं, वरना खास उम्मीद न रखें।
स्रोत-the hindu








