पद्मश्री साळुमारदा थिम्मक्का: 114 वर्ष की आयु में निधन, ‘वृक्ष माता’ की जीवनी | Salumarada Thimmakka (Tree Mother) Biography Hindi

By Santosh Kumar

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साळुमारदा थिम्मक्का (Salumarada Thimmakka) (1911–14 नवंबर 2025), जिन्हें ‘वृक्ष माता‘ के नाम से जाना जाता है, कर्नाटक की प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और पद्मश्री सम्मान विजेता थीं, जिनका 114 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनका जन्म 1911 में कर्नाटक के रामनगर जिले के गूब्बी तालुक के हुलिकल गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। बाल्यावस्था से ही आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित रहीं और मात्र 10-12 वर्ष की आयु में शादी हो गई। उनके पति चिक्कैया, एक साधारण मजदूर थे। दंपति को संतान सुख नहीं मिला, जिस दर्द को उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महान कार्य में बदल दिया।

Salumarada Thimmakka

Salumarada Thimmakka Intro

विवरणजानकारी
पूरा नामसाळुमारदा थिम्मक्का (Saalumarada Thimmakka)
जन्म1911, हुलिकल गांव, गूब्बी तालुक, रामनगर जिला, कर्नाटक
निधन14 नवंबर 2025 (आयु: 114 वर्ष), लंबी बीमारी के बाद
पेशापर्यावरणविद्, वृक्ष लगाने वाली कार्यकर्ता
प्रमुख उपनामवृक्ष माता (Mother of Trees)
पतिचिक्कैया (मृत्यु: 1991)
कुल लगाए पेड़8,000+ (384 बरगद मुख्य मार्ग पर)
प्रमुख सम्मानपद्मश्री (2019), बीबीसी 100 प्रभावशाली महिलाएँ, नेशनल सिटिजन अवॉर्ड आदि
संदेश“पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ”

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

साळुमारदा थिम्मक्का का जन्म 1911 में कर्नाटक के रामनगर जिले के गूब्बी तालुक के हुलिकल गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बचपन में ही स्कूल छोड़ना पड़ा और मात्र 10-12 वर्ष की आयु में विवाह हो गया। उनके पति चिक्कैया एक साधारण मजदूर थे। दंपति को संतान नहीं हुई, जिस दर्द को उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महान कार्य में परिवर्तित कर दिया।

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वृक्ष माता का संकल्प

Salumarada Thimmakka (Tree Mother)

थिम्मक्का और उनके पति ने 1940 के दशक में बेंगलुरु-मागड़ी मार्ग पर बरगद के पेड़ लगाने का संकल्प लिया। बिना किसी सरकारी या सामाजिक सहायता के, उन्होंने 25 वर्षों में 384 बरगद के पेड़ लगाए, जो आज विशाल वृक्ष बन चुके हैं। ये पेड़ न केवल पर्यावरण को समृद्ध कर रहे हैं, बल्कि यात्रियों को छाया और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। पति की मृत्यु (1991) के बाद भी थिम्मक्का ने अकेले यह अभियान जारी रखा और कुल 8,000 से अधिक पेड़ लगाए।

उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 2019 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें नेशनल सिटिजन अवॉर्ड, गॉडफ्रे पर्यावरण पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार सहित अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले। बीबीसी ने उन्हें ‘विश्व की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं’ में शामिल किया।

थिम्मक्का का जीवन संदेश स्पष्ट था—“पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ”। शिक्षा न होने के बावजूद उन्होंने प्रकृति से जो सीखा, उसे दुनिया को सिखाया। 14 नवंबर 2025 को सुबह 7:42 बजे उनका निधन हुआ, किंतु उनके लगाए पेड़ आज भी जीवित हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

1940 के दशक में थिम्मक्का और उनके पति ने बेंगलुरु-मागड़ी मुख्य मार्ग पर बरगद के पेड़ लगाने का संकल्प लिया। बिना किसी सरकारी सहायता के:

  • 25 वर्षों में 384 बरगद के पेड़ लगाए
  • पति की मृत्यु (1991) के बाद अकेले जारी रखा
  • कुल 8,000 से अधिक पेड़ लगाए

ये पेड़ आज विशाल वन बन चुके हैं, जो यात्रियों को छाया, पक्षियों को आश्रय और पर्यावरण को संतुलन प्रदान करते हैं।

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सम्मान और वैश्विक पहचान

Salumarada Thimmakka Padma Shri Award
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पद्मश्री पुरस्कार ग्रहण करती साळुमारदा थिम्मक्का
सम्मानवर्ष
पद्मश्री2019
नेशनल सिटिजन अवॉर्ड
इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार
गॉडफ्रे पर्यावरण पुरस्कार
बीबीसी 100 प्रभावशाली महिलाएँ

अंतिम क्षण और विरासत

14 नवंबर 2025 को 114 वर्ष की आयु में सुबह 7:42 बजे लंबी बीमारी के बाद थिम्मक्का का निधन हो गया। अशिक्षित होने के बावजूद उन्होंने प्रकृति से जो सीखा, उसे दुनिया को सिखाया।

उनका संदेश: पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ

उनके लगाए पेड़ आज भी जीवित हैं और आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देते रहेंगे।

साळुमारदा थिम्मक्का से संबंधित प्रश्नोत्तर-FAQ

1. साळुमारदा थिम्मक्का कौन थीं?

उत्तर: साळुमारदा थिम्मक्का कर्नाटक की प्रसिद्ध पर्यावरणविद् थीं, जिन्हें ‘वृक्ष माता’ कहा जाता है। उन्होंने 8,000 से अधिक पेड़ लगाए और 2019 में पद्मश्री से सम्मानित हुईं।

2. थिम्मक्का का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: उनका जन्म 1911 में कर्नाटक के रामनगर जिले के गूब्बी तालुक के हुलिकल गांव में हुआ था।

3. थिम्मक्का की शिक्षा कैसी थी?

उत्तर: आर्थिक तंगी के कारण वे अशिक्षित रहीं। बचपन में ही स्कूल छोड़ दिया और 10-12 वर्ष की आयु में विवाह हो गया।

4. उन्होंने कितने पेड़ लगाए और कहाँ?

उत्तर: उन्होंने कुल 8,000+ पेड़ लगाए, जिनमें 384 बरगद के पेड़ बेंगलुरु-मागड़ी मुख्य मार्ग पर सबसे प्रसिद्ध हैं।

5. पेड़ लगाने की प्रेरणा क्या थी?

उत्तर: संतान न होने के दर्द को उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में बदला। पति चिक्कैया के साथ 1940 के दशक में संकल्प लिया।

6. पति की मृत्यु के बाद क्या हुआ?

उत्तर: पति चिक्कैया की मृत्यु 1991 में हुई, लेकिन थिम्मक्का ने अकेले ही अभ veryan जारी रखा और हजारों पेड़ लगाए।

7. उन्हें कौन-कौन से सम्मान मिले?

उत्तर:
पद्मश्री (2019)
नेशनल सिटिजन अवॉर्ड
इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार
बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं में शामिल

8. थिम्मक्का का निधन कब और कैसे हुआ?

उत्तर: उनका निधन 14 नवंबर 2025 को सुबह 7:42 बजे, लंबी बीमारी के बाद हुआ। आयु थी 100 वर्ष

9. उनका सबसे बड़ा संदेश क्या था?

उत्तर: “पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ” – यही उनका जीवन मंत्र था।

10. आज उनकी विरासत क्या है?

उत्तर: उनके लगाए हजारों पेड़ आज भी जीवित हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

स्रोत: डेकन हेराल्ड, 14 नवंबर 2025

Santosh Kumar

My name is Dr Santosh Kumar Sain and I am a Government Teacher. I am fond of writing and through this blog I will introduce you to the biographies of famous women.

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