Sandhya Shantaram Death: संध्या शांताराम, जिन्हें मोनोनिमस संध्या (Mononymous Sandhya) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सिनेमा की एक ऐसी दिग्गज अभिनेत्री थीं जिन्होंने 1950-60 के दशक में हिंदी और मराठी फिल्मों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। वे वी. शांताराम की पत्नी और उनकी कई क्लासिक फिल्मों की हीरोइन के रूप में प्रसिद्ध, संध्या शांताराम ने नृत्य, अभिनय और भावनाओं की गहराई से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। हाल ही में 4 अक्टूबर 2025 को 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, जिसके बाद सोशल मीडिया और गूगल सर्च में “संध्या शांताराम निधन“, “संध्या शांताराम जीवन परिचय” और “संध्या शांताराम फिल्में”लोग खोज रहे हैं। इस लेख में हम संध्या शांताराम की पूरी जीवनी, करियर, प्रमुख फिल्मों, पुरस्कारों और उनके योगदान की विस्तृत जानकारी देंगे।

| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | विजया देशमुख |
| प्रचलित नाम | संध्या शांताराम (विवाह के बाद) |
| जन्म तिथि | 22 सितंबर 1932 |
| जन्म स्थान | कोचीन (कोच्चि), केरल, भारत |
| पेशा | अभिनेत्री, नृत्यांगना, वी. शांताराम प्रोडक्शंस की संरक्षक |
| प्रसिद्धि का कारण | हिंदी और मराठी सिनेमा में अभिनय, विशेष रूप से नवरंग, झनक झनक पायल बाजे |
| पति | वी. शांताराम (प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक) |
| पहली फिल्म | अमर भूपाली (1952, मराठी) |
| आखिरी फिल्म | चंदनाची चोली अंग अंग जळी (1975, मराठी) |
| प्रमुख पुरस्कार | फिल्मफेयर मराठी अवॉर्ड (1975), बीएफजेए अवॉर्ड्स, झनक झनक पायल बाजे के लिए नेशनल अवॉर्ड (फिल्म को) ![]() |
| निधन | 4 अक्टूबर 2025, मुंबई, महाराष्ट्र |
| उम्र (निधन के समय) | 93 वर्ष |
| विरासत | भारतीय सिनेमा में नृत्य और सामाजिक संदेशों वाली फिल्मों में योगदान |
Sandhya Shantaram Early Life: संध्या शांताराम का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
संध्या शांताराम जिनका वास्तविक नाम विजया देशमुख था और उनका जन्म 22 सितंबर 1932 को कोचीन (अब कोच्चि, केरल) में हुआ था। उनका परिवार मराठी ब्राह्मण था, और उनकी बहन वत्सला देशमुख भी सिनेमा से जुड़ी रहीं। बचपन से ही संध्या को संगीत और नृत्य का शौक था, लेकिन औपचारिक प्रशिक्षण न होने के बावजूद उनकी स्वाभाविक प्रतिभा ने उन्हें फिल्म जगत तक पहुंचाया।
1950 के दशक में जब वे युवा थीं, तब प्रसिद्ध फिल्म निर्माता वी. शांताराम ने उन्हें अपनी फिल्म अमर भूपाली (1951) के लिए मौका दिया। शांताराम को उनकी आवाज पसंद आई, जो उनकी दूसरी पत्नी जयश्री से मिलती-जुलती थी। इस तरह संध्या का फिल्मी सफर शुरू हुआ, जो आगे चलकर उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया।
संध्या ने कभी औपचारिक नृत्य प्रशिक्षण नहीं लिया, लेकिन उनकी फिल्मों में नृत्य दृश्य आज भी क्लासिक माने जाते हैं।
संध्या शांताराम का विवाह: वी. शांताराम से प्रेम कहानी
संध्या शांताराम का जीवन तब एक नया मोड़ ले चुका था जब वे वी. शांताराम से मिलीं। वी. शांताराम, जो भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाते हैं, संध्या से उम्र में 37 साल बड़े थे। 1950 के दशक में शांताराम की दूसरी पत्नी जयश्री के छोड़ने के बाद संध्या ने उनका साथ दिया। दोनों का विवाह हुआ, और संध्या शांताराम बनीं। यह विवाह न केवल व्यक्तिगत था, बल्कि पेशेवर साझेदारी भी था। संध्या ने शांताराम की अधिकांश फिल्मों में काम किया, और उनकी जोड़ी ने सिनेमा को कई मील के पत्थर दिए। वी. शांताराम का निधन 1990 में हुआ, लेकिन संध्या ने उनके नाम को हमेशा जिंदा रखा। उनके सौतेले बच्चे भी सिनेमा से जुड़े रहे।
संध्या शांताराम की अपनी कोई औलाद नहीं थी लेकिन उन्होंने वी. शांताराम की पहली पत्नी विमलाबाई और दूसरी पत्नी जयश्री के बच्चों को मातृत्व सुख दिया और हमेशा उनकी सगी माँ की तरह देखभाल की।

वी. शांताराम के बच्चों के नाम
वी. शांताराम (पूर्ण नाम: शांताराम राजाराम वंकुडरे) की तीन शादियाँ हुई थीं, और उनके कुल 7 बच्चे थे। नीचे उनकी शादियों के अनुसार बच्चों के नाम दिए गए हैं:
| पत्नी | विवाह वर्ष | बच्चों के नाम | विवरण |
|---|---|---|---|
| पहली पत्नी: विमलाबाई | 1921 | – प्रभात कुमार (पुत्र) – सरोज (पुत्री) – माधुरी (पुत्री) – चारुशीला (पुत्री) | प्रभात कुमार के नाम पर शांताराम ने अपनी फिल्म कंपनी “प्रभात फिल्म्स” नाम रखी। माधुरी पंडित जसराज की पत्नी थीं। |
| दूसरी पत्नी: जयश्री | 1941 (तलाक 1956) | – किरण शांताराम (पुत्र) – राजश्री (पुत्री) – तेजश्री (पुत्री) | किरण शांताराम मराठी फिल्म निर्देशक थे। राजश्री प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं (फिल्में: ब्रह्मचारी, अनुराधा)। |
| तीसरी पत्नी: संध्या | 1956 | कोई बच्चे नहीं | – |
संध्या शांताराम का फिल्म करियर
संध्या शांताराम का पदर्पण 1952 में मराठी फिल्म अमर भूपाली से हुआ, जिसमें उन्होंने गुनावती का किरदार निभाया। यह फिल्म कांस फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी। उसके बाद वे 1950-60 के दशक में शांताराम की फिल्मों की प्रमुख अभिनेत्री बनीं। उन्होंने हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में 20 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी विशेषता थी नृत्य और गंभीर भूमिकाओं का संतुलन।
उनकी आखिरी फिल्म 1975 में मराठी चंदनाची चोली अंग अंग जळी थी, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर मराठी पुरस्कार मिला। कुल मिलाकर, संध्या ने सिनेमा में 20+ वर्ष सक्रिय रहीं और रिटायरमेंट के बाद भी वी. शांताराम अवॉर्ड्स जैसे इवेंट्स में नजर आती रहीं।

संध्या शांताराम की प्रमुख फिल्में (Filmography)
नीचे संध्या शांताराम की टॉप फिल्मों की सूची दी गई है-
| फिल्म का नाम | वर्ष | भूमिका | विशेषता |
|---|---|---|---|
| अमर भूपाली (Amar Bhoopali) | 1952 | गुनावती | डेब्यू फिल्म, कांस अवॉर्ड विजेता |
| तीन बत्ती चार रास्ता (Teen Batti Char Raasta) | 1953 | श्यामा/कोकिला | गायिका की भूमिका, त्वचा के रंग पर सामाजिक संदेश |
| झनक झनक पायल बाजे (Jhanak Jhanak Payal Baaje) | 1955 | निला देवी | कथक नृत्य, 4 फिल्मफेयर और नेशनल अवॉर्ड |
| दो आंखें बारह हाथ (Do Aankhen Barah Haath) | 1957 | चंपा | जेल सुधार पर आधारित क्लासिक |
| नवरंग (Navrang) | 1959 | जमुना/मोहिनी | डबल रोल, आइकॉनिक गाना “अरे जा रे हट नटखट” |
| स्त्री (Stree) | 1961 | शकुंतला | शेरों के साथ साहसी सीन |
| पिंजरा (Pinjra) | 1972 | चंद्रकला | मराठी क्लासिक, तमाशा आर्टिस्ट की कहानी |
| सहेली (Sehra) | 1963 | – | रोमांटिक ड्रामा |
ये फिल्में आज भी यूट्यूब और ओटीटी पर उपलब्ध हैं, जहां “संध्या शांताराम नृत्य” या “नवरंग गाने” जैसे सर्चेस हाई रहते हैं।
संध्या शांताराम के पुरस्कार और सम्मान (Awards and Honors)

संध्या शांताराम को व्यक्तिगत रूप से कई सम्मान मिले, हालांकि उनकी फिल्में ज्यादा अवॉर्ड्स जीतने के लिए जानी जाती हैं। मुख्य पुरस्कार:
- फिल्मफेयर अवॉर्ड्स: 4 अवॉर्ड्स, जिसमें झनक झनक पायल बाजे के लिए बेस्ट एक्ट्रेस नॉमिनेशन।
- बीएफजेए अवॉर्ड्स: 2 अवॉर्ड्स।
- फिल्मफेयर मराठी अवॉर्ड: चंदनाची चोली अंग अंग जळी (1975) के लिए।
- उनकी फिल्म झनक झनक पायल बाजे को नेशनल फिल्म अवॉर्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी मिला।
संध्या को “भारतीय सिनेमा की पहली फीमेल सुपरस्टार” कहा जाता है। 2009 में नवरंग के 50 वर्ष पूरे होने पर वी. शांताराम अवॉर्ड्स में उन्हें सम्मानित किया गया।
संध्या शांताराम का निधन: 4 अक्टूबर 2025 को दुनिया से अलविदा
4 अक्टूबर 2025 को मुंबई में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण संध्या शांताराम का निधन हो गया। वे 93 वर्ष की थीं। उनका अंतिम संस्कार वैकुंठ धाम, शिवाजी पार्क में किया गया। महाराष्ट्र सरकार और फिल्म जगत ने श्रद्धांजलि दी। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर कहा, “संध्या जी का योगदान अविस्मरणीय है।”
संध्या शांताराम की विरासत
संध्या शांताराम न केवल एक अभिनेत्री थीं, बल्कि नृत्य और सामाजिक मुद्दों (जैसे त्वचा का रंग) पर फिल्मों की प्रतीक भी। उनकी फिल्में आज भी एनएसडी (NSD) और फिल्म स्कूल्स में पढ़ाई जाती हैं। वी. शांताराम प्रोडक्शंस की संरक्षक के रूप में उन्होंने सिनेमा को समृद्ध किया। अगर आप “संध्या शांताराम इंटरव्यू” या “संध्या शांताराम अनसुनी कहानियां” सर्च करें, तो उनके नृत्य वीडियोज मिलेंगे जो लाखों व्यूज पा चुके हैं।
स्रोत: विकिपीडिया, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टुडे
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