Mokshada Ekadashi 2025: हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत को मोक्ष प्राप्ति का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय माना गया है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इस एकादशी का व्रत करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और स्वयं व्रती को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। इस बार मोक्षदा एकादशी 30 नवंबर 2025, रविवार को है।

मोक्षदा एकादशी 2025 – तिथि और मुहूर्त | Mokshada Ekadashi 2025
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 नवंबर 2025, दोपहर 02:47 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्त: 30 नवंबर 2025, दोपहर 03:12 बजे तक
- व्रत रखने की तिथि: 30 नवंबर 2025 (रविवार)
- हरि वासर समाप्ति: 30 नवंबर, सुबह 09:14 बजे तक
- पारण का शुभ समय: 1 दिसंबर 2025, सुबह 06:52 से 09:02 बजे तक
नोट: दशमी युक्त एकादशी होने के कारण 30 नवंबर को ही व्रत रखना सर्वोत्तम रहेगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत की सरल और संपूर्ण पूजा विधि (घर पर ही करें)
- प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित करें, तुलसी पत्र, पीले फूल, फल, मौसमी मिठाई, तुलसी दल और पंचामृत चढ़ाएं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की 1 माला (108 बार) जपें।
- गीता पाठ करें – खासकर अध्याय 15 (पुरुषोत्तम योग) का पाठ मोक्षदा एकादशी में अत्यंत फलदायी है।
- दिन भर फलाहार या निराहार रहें। पानी, दूध, फल, मेवे ले सकते हैं।
- संध्या काल में विष्णु जी की आरती करें (नीचे पूरी आरती दी गई है)।
- रात में भगवान के समक्ष दीपक जलाकर कीर्तन-भजन करें।
- अगले दिन द्वादशी को पारण करें – पहले तुलसी पत्र और जल ग्रहण करें, फिर भोजन।
मोक्षदा एकादशी के खास मंत्र (जप करने से मिलता है तुरंत लाभ)
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे। ॐ हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
- ॐ नमः कमलनाभाय नमः (सिद्ध मंत्र – 11, 21 या 108 बार)
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ या केवल “ॐ विष्णवे नमः” का निरंतर जप
श्री विष्णु जी की संपूर्ण आरती (मोक्षदा एकादशी के लिए विशेष)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का।
स्वामी दुख बिनसे मन का।
सुख संपति घर आवे, सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी।
स्वामी तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख फल चाहूं, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे।
स्वामी ठाकुर तुम मेरे।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
मोक्षदा एकादशी के विशेष लाभ
- पितरों की 14 पीढ़ियों को मोक्ष मिलता है।
- गीता जयंती भी इसी दिन होती है, इसलिए गीता पाठ का दोगुना फल।
- अकाल मृत्यु, दुर्घटना और नरक के भय से मुक्ति।
- जीवन में सुख-शांति और अंत समय में वैकुंठ प्राप्ति।
इस मोक्षदा एकादशी पर श्री हरि विष्णु की कृपा आप सभी पर बनी रहे। जय श्री कृष्ण!
Disclaimer– हम ऊपर दी गई जानकारी की सत्यता की पुष्टि नहीं करते। यह जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर है और पुष्टि करने से पहले धार्मिक विशेषज्ञ की राय लें।
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