Sushila Karki Nepal NewPM: नेपाल में पिछले कुछ दिनों में घटे क्रन्तिकारी घटनाक्रम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। नेपाल की मौजूदा सरकार को भ्रष्टाचार के कारण नेपाल के युवाओं का गुस्सा झेलना पड़ा। GEN Z नामक युवा संगठन ने लाखों की संख्या में सड़क पर उतरकर हिंसक घटना ने वहां की सरकार को उखाड़ फैंका। नेपाल का नया प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए इस पर कई दिन मंथन चला और अंततः ऐतिहासिक फैसले में पूर्व न्यायधीश सुशीला कार्की के नाम पर अंतिम सहमति बनी। उन्होंने 12 सितंबर 2025 को नेपाल की प्रथम महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में भी शपथ ली।
सुशीला कार्की नेपाल की प्रथम महिला न्यायधीश भी हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम सुशीला कार्की की जीवनी, उम्र, शिक्षा, करियर, परिवार, पति, नेट वर्थ, और उनकी नई भूमिका के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Sushila Karki Election Reform: नेपाल में वोटिंग की उम्र में बदलाव
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने सितंबर 26 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसमें वोटिंग की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल कर दिया गया। यह कदम युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अधिक भागीदारी देने और उनकी आवाज को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। नेपाल अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहां वोटिंग की उम्र सबसे कम है।
दुनिया में अन्य देश जो 16 साल की उम्र में मतदान की अनुमति देते हैं, उनमें ऑस्ट्रिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, क्यूबा, निकारागुआ, स्कॉटलैंड, आइल ऑफ मैन, ग्वेर्नसे और माल्टा शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ देशों जैसे इंडोनेशिया, ग्रीस, सूडान, दक्षिण सूडान, उत्तर कोरिया और पूर्वी तिमोर में 17 साल की उम्र में वोटिंग की अनुमति है। संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश में मतदान करने की न्यूनतम आयु सिमा 25 वर्ष है जबकि मलेशिया, ओमान, कुवैत सिंगापूर कैमरून सोलेमन और लेबनान जैसे देशों में यह सीमा 21 वर्ष है।
Sushila Karki Biography: सुशीला कार्की का जीवन परिचय
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के सरलाही ज़िले के शंकरपुर में एक छेत्री साधारण किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी थीं। उनके परिवार ने शिक्षा को महत्व दिया, जिसके कारण सुशीला ने अपने समय के प्रचलित सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी निष्पक्षता और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त दृष्टिकोण ने उन्हें नेपाल में एक चर्चित और सम्मानित व्यक्तित्व बनाया।
नाम | सुशीला कार्की (Sushila Karki) |
जन्म तिथि | 7 जून 1952 |
उम्र (2025 तक) | 73 वर्ष |
जन्म स्थान | बीरतनगर, मोरंग जिला, नेपाल |
शिक्षा | – बी.ए. (महेंद्र मोरंग कॉलेज, 1972) – एम.ए. (पॉलिटिकल साइंस, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, 1975) – एलएलबी (त्रिभुवन यूनिवर्सिटी, 1978) |
करियर | – वकील (1979 से) – सुप्रीम कोर्ट की जज (2009) – नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (2016-2017) – अंतरिम प्रधानमंत्री ( 12 सितम्बर 2025 से) |
परिवार | सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी, माता-पिता किसान थे |
पति | दुर्गा प्रसाद सुबेदी (Durga Prasad Subedi), 1973 में रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान अपहरण में शामिल थे |
संतान | एक बेटा- प्रशांत सुबेदी |
धर्म | हिन्दू |
जाति | ब्राह्मण |
नेट वर्थ | सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं |
प्रमुख उपलब्धि | नेपाल की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश और पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री |
लेखन कार्य | – न्याय (Nyaya, 2018, आत्मकथा) – कारा (Kara, उपन्यास) |
शिक्षा (Education)
सुशीला कार्की ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बीरतनगर में पूरी की। 1972 में उन्होंने महेंद्र मोरंग कॉलेज से बी.ए. की डिग्री हासिल की। 1975 में उन्होंने भारत के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, वह नेपाल लौटीं और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से 1978 में कानून (LLB) की डिग्री पूरी की। उनकी उच्च शिक्षा ने उन्हें कानून और न्याय के क्षेत्र में सशक्त आधार प्रदान किया।
प्राम्भिक शिक्षा | बीरतनगर |
बी.ए-1972 | महेंद्र मोरंग कॉलेज, नेपाल |
LLB-1978 | त्रिभुवन यूनिवर्सिटी, नेपाल |
M.A. (पॉलिटिकल साइंस )-1975 | बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU), भारत |
करियर (Career)
सुशीला कार्की ने 1979 में बीरतनगर में वकालत प्रारम्भ की। 1985 में वह धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में असिस्टेंट टीचर (सहायक अध्यापिका ) के रूप में कार्यरत थीं। 1990 के जन आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और पंचायत शासन के खिलाफ आवाज उठाई, जिसके कारण उन्हें बीरतनगर जेल में बंद किया गया। इस दौरान के अनुभव ने उन्हें अपनी किताब “कारा” लिखने के लिए प्रेरित किया।
2008 में वह नेपाल बार एसोसिएशन की सीनियर एडवोकेट (वरिष्ठ अधिवक्ता) बनीं। 2009 में उन्हें नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी जज नियुक्त किया गया, और 2010 में उनकी यह नियुक्ति स्थायी हो गई। 2016 में वह नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं, जहां उन्होंने भ्रष्टाचार और महिलाओं के अधिकारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण और क्रन्तिकारी फैसले सुनाए। 2017 में उन पर महाभियोग का प्रयास किया गया, लेकिन जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसे वापस ले लिया गया। वह 65 वर्ष की आयु में रिटायर (सेवानिवृत) हुईं।
2025 में, जनरेशन Z (GEN Z) के नेतृत्व में हुए भ्रष्टाचार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, डिस्कॉर्ड पर हुए एक सर्वे में प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चुना। 12 सितंबर 2025 को उन्होंने नेपाल की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है।
वकालत प्रारम्भ | 1979 |
असिस्टेंट टीचर | 1985 |
गिरफ्तारी और जेल | 1990 |
नेपाल बार एसोसिएशन की सीनियर एडवोकेट | 2008 |
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी जज | 2009 |
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश | 2016 |
सेवानिवृत | 2017 |
अंतरिम प्रधानमंत्री नेपाल | 12 सितंबर 2025 |
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परिवार और पति (Family and Husband)
सुशीला कार्की का जन्म एक छेत्री किसान परिवार में हुआ था, और वह अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके परिवार ने उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी, जो उस समय के लिए असामान्य था। उन्होंने भारत में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान दुर्गा प्रसाद सुबेदी से मुलाकात की, जो उनके ट्यूटर थे। सुबेदी नेपाली कांग्रेस के युवा नेता थे और 1973 में रॉयल नेपाल एयरलाइंस के एक विमान अपहरण में शामिल थे, जिसका उद्देश्य राजशाही के खिलाफ आंदोलन के लिए धन जुटाना था। दोनों ने शादी की और उनका एक बेटा प्रशांत सुबेदी है। सुशीला ने अपने पति को “संकट और हर मौसम में सबसे भरोसेमंद दोस्त और मार्गदर्शक” बताया है।

नेट वर्थ (Net Worth)
सुशीला कार्की की नेट वर्थ के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। एक जज और अब अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में, उनकी आय मुख्य रूप से सरकारी वेतन और भत्तों से रही होगी। उनकी सादगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ रवैये को देखते हुए, वह धन संचय की बजाय सेवा पर ध्यान देती हैं।
नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री (Nepal’s First Female Prime Minister)
सितम्बर 2025 में नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ जनरेशन Z के हिंसक प्रदर्शनों ने देश को हिला दिया। इन प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। इसके परिणामस्वरूप, तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को उनकी निष्पक्षता और भ्रष्टाचार विरोधी रवैये के कारण अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चुना। उनकी नियुक्ति को नेपाल के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, क्योंकि वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
सुशीला कार्की की किताबें
सुशीला कार्की ने अपनी रिटायरमेंट के बाद दो महत्वपूर्ण किताबें लिखीं:
- न्याय (Nyaya, 2018): यह उनकी आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन और न्यायिक करियर के अनुभव साझा किए।
- कारा (Kara): यह एक उपन्यास है, जो बीरतनगर जेल में उनके अनुभवों और नेपाली महिलाओं के संघर्षों पर आधारित है।
भारत से संबंध (Connection with India)
सुशीला कार्की का भारत से गहरा नाता है। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से अपनी मास्टर्स डिग्री हासिल की और वहां अपने पति से मुलाकात की। एक साक्षात्कार में उन्होंने भारत के प्रति अपनी सकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “भारत और नेपाल के लोगों के बीच बहुत अच्छा रिश्ता है।” उन्होंने भारतीय नेताओं, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सम्मान व्यक्त किया है।
सुशीला कार्की के बारे में अनजाने तथ्य (Unknown Facts about Sushila Karki)
- नृत्य में रुचि: सुशीला कार्की को नृत्य का शौक है। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बी.पी. कोइराला की पत्नी सुशीला आमा से नृत्य सीखा।
- बीएचयू में शिक्षण का प्रस्ताव: उन्हें बीएचयू में पढ़ाने और पीएचडी करने का अवसर मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि वह मानती थीं कि उनका अंतिम उद्देश्य न्यायाधीश बनने का है।
- पिता का सपना: सुशीला के पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन गणित में कमजोरी के कारण उन्होंने आर्ट्स और फिर कानून चुना। उनके पिता ने बाद में उन्हें एक अखबार में किसी देश के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीर दिखाकर प्रेरित किया।
- नेपाली कांग्रेस से पारिवारिक संबंध: उनके परिवार का नेपाल के पहले लोकतांत्रिक प्रधानमंत्री बी.पी. कोइराला के परिवार से करीबी रिश्ता था, जिसने उनके पिता को राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
- महिलाओं के अधिकारों की पैरोकार: सुशीला ने 2016 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें नेपाली महिलाओं को अपने बच्चों को स्वतंत्र रूप से नागरिकता देने का अधिकार दिया गया, जो पहले केवल पुरुषों तक सीमित था।
- विमान अपहरण से विवादास्पद कनेक्शन: उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी 1973 में रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान अपहरण में शामिल थे, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं। यह घटना राजशाही के खिलाफ धन जुटाने के लिए की गई थी।
- जेल अनुभव: 1990 के जन आंदोलन के दौरान उन्हें बीरतनगर जेल में बंद किया गया था, जिसने उनकी किताब “कारा” को प्रेरित किया।
निष्कर्ष
सुशीला कार्की की जीवनी नेपाल की महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। एक साधारण परिवार से निकलकर नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश और अब पहली महिला प्रधानमंत्री बनने तक, उनकी यात्रा दृढ़ता और साहस की कहानी है। उनकी निष्पक्षता, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया, और न्याय के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता का विश्वास दिलाया। अनजाने तथ्य उनकी जिंदगी को और भी रोचक बनाते हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं। नेपाल के इस नाजुक दौर में, सुशीला कार्की के नेतृत्व से देश को स्थिरता और पारदर्शिता की उम्मीद है।
स्रोत- विकिपीडिया, NDTV