अगर हम वर्तमान में आध्यात्मिक संतों की बात करें तो प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) बहुत सम्मानित संत हैं जो वृंदावन, मथुरा में रहते हैं। उनका नाम सुनते ही लोगों के मन में भक्ति और प्रेम के साथ सम्मान की भावना जाग उठती है। इस लेख में हम प्रेमानंद महाराज के प्रारंभिक जीवन, परिवार, शिक्षा, घर त्याग, संन्यास, वैवाहिक जीवन, विहार, प्रसिद्ध कथन, बीमारी, वर्तमान अपडेट, नेट वर्थ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
शायद आप में से बहुत कम लोगों को उनका वास्तविक नाम पता न हो, तो हम आपको बता दें कि उनका वास्तविक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है। उनका जन्म 30 मार्च 1969 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अखरी गाँव में हुआ था। जन्म के वर्ष के विषय में मतभेद है और कुछ स्रोतों में जन्म साल 1972 बताया गया है, लेकिन अधिकतर सहमति 1969 की ओर इशारा करती है। उनका जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। परिवार चूँकि पूजा-पाठ और कर्मकांडों से जुड़ा था तो बालक अनिरुद्ध भी बचपन से ही उनमें आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होने लगे।

| वास्तविक नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडेय |
| संन्यासी नाम | आर्यन ब्रह्मचारी (प्रेमानंद जी महाराज के रूप में प्रसिद्ध) |
| जन्म तिथि | 30 मार्च 1969 (कुछ स्रोतों में 1972) |
| जन्म स्थान | अखरी गाँव, सरसौल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश |
| परिवार | पिता: पंडित राम नारायण पांडेय, माता: सुदामा देवी; |
| शिक्षा | प्रारंभिक शिक्षा गाँव में; संस्कृत और धार्मिक ग्रंथों (भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत) का अध्ययन |
| संन्यास | 16-17 वर्ष की उम्र में घर त्याग; राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षा |
| वैवाहिक जीवन | अविवाहित (नैष्ठिक ब्रह्मचारी) |
| गुरु | श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज |
| प्रमुख कार्य | वृंदावन में राधा केली कुंज आश्रम; भक्ति प्रवचन, भजन, और आध्यात्मिक मार्गदर्शन |
| लोकप्रियता | यूट्यूब चैनल “भजन मार्ग” पर लाखों भक्त; विराट कोहली, अंकिता लोखंडे जैसे प्रशंसक |
| स्वास्थ्य | दोनों किडनी फेल (पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज); दैनिक डायलिसिस (5 घंटे); स्थिर स्थिति |
| प्रसिद्ध कथन | “प्रेम ही भगवान तक पहुँचने का रास्ता है।” |
| वर्तमान स्थिति (2025) | वृंदावन में सक्रिय; नियमित सत्संग और भजन; भक्तों से प्रार्थना की अपील |
| विवाद | जुलाई 2025 में महिलाओं और नैतिकता पर बयान से विवाद; कोई माफी नहीं, स्पष्टीकरण दिया |
| नेट वर्थ | कोई आधिकारिक जानकारी नहीं; संन्यासी के रूप में सादगी भरा जीवन |
| उत्तराधिकारी | कोई आधिकारिक घोषणा नहीं; संप्रदाय परंपरा के आधार पर भविष्य में निर्णय संभव |
Premanand Ji Maharaj Early Life: प्रारंभिक जीवन
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 30 मार्च 1969 को एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित राम नारायण पांडेय और माता का नाम सुदामा देवी था। उनके परिवार में धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल गहराई से था। बचपन में अनिरुद्ध (प्रेमानंद जी) बहुत ही शांत और विचारशील स्वभाव के थे। गाँव के मंदिर में होने वाले भक्ति भजनों और कथाओं में वे भाग लेते थे। लोग बताते हैं कि वह अक्सर मंदिर में घंटों शांत मुद्रा में समय बिताते थे और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे।
उनके गाँव का माहौल भले ही साधारण था, लेकिन धार्मिक और नैतिक मूल्यों से भरा था। उनके पिता एक कर्मकाण्डीय पंडित थे और गाँव में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करवाते थे। ऐसे वातावरण ने प्रेमानंद जी के मन में भक्ति का अंकुरण कर दिया। वह बचपन में ही भगवद्गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में रुचि लेने लगे थे।
Premanand Ji Maharaj Family: परिवार
प्रेमानंद जी महाराज का परिवार धार्मिक और सांस्कृतिक प्रवृत्ति वाला एक रूढ़िवादी परिवार था। उनके माता-पिता के अतिरिक्त परिवार में अन्य सदस्य भी थे, लेकिन उनके भाई-बहनों के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। उनके परिवार ने उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों के साथ पाला। उनके पिता चाहते थे कि अनिरुद्ध पढ़-लिखकर एक अच्छा जीवन बिताये, लेकिन अनिरुद्ध का मन संसारिक जीवन से ज्यादा आध्यात्मिकता की ओर था।
Premanand Ji Maharaj Education: शिक्षा
प्रेमानंद जी महाराज की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव के पास एक स्कूल में हुई। वह एक मेधावी छात्र थे और मन लगाकर पढ़ते थे। उन्होंने संस्कृत और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन भी किया। कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए कानपुर में प्रवेश लिया, लेकिन उनकी आध्यात्मिक रुचि ने उन्हें किताबी पढ़ाई से ज्यादा भक्ति और संन्यास की ओर आकर्षित किया। उनकी शिक्षा का ज्यादा हिस्सा धार्मिक ग्रंथों जैसे भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत और वेदों के अध्ययन में बीता।

घर त्याग और संन्यास
प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत कम उम्र में ही सांसारिक जीवन को त्यागने का निर्णय किया। कहा जाता है कि 16-17 साल की उम्र में उन्होंने घर त्याग दिया और संन्यास की ओर कदम बढ़ाया। उनके मन में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रति गहरी भक्ति थी, जिसके कारण वह श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन चले आये। वृंदावन में उन्होंने कई संतों और गुरुओं से भेंट की और उनके मार्गदर्शन में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।
उन्होंने औपचारिक रूप से संन्यास लिया और प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाने गए। संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने में समर्पित कर दिया। वृंदावन में रहते हुए उन्होंने कई भक्तों को अपने प्रवचनों और भक्ति भजनों से प्रभावित किया। उनके व्याख्यान साधारण मगर गहरे असर डालने वाले होते हैं।
वैवाहिक जीवन
प्रेमानंद जी महाराज ने कभी विवाह नहीं किया। संन्यासी के रूप में उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्याग दिया था। उनका मानना है कि कृष्ण की भक्ति में ही जीवन का वास्तविक सुख है। उनके भक्तों का मानना है कि वह अपने जीवन को पूरी तरह से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित कर चुके हैं। इसलिए उनके जीवन में वैवाहिक जीवन का कोई स्थान नहीं रहा।
आश्रम (जीवनशैली)

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन बहुत ही सादगी भरा है। वह वृंदावन में रहते हैं और वहाँ के मंदिरों में भक्ति भजनों और कथाओं में समय बिताते हैं। उनकी दिनचर्या में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, ध्यान, और भक्तों को मार्गदर्शन देना शामिल है। वह अपने भक्तों के साथ बहुत ही साधारण और प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हैं। उनके प्रवचन और भजन बहुत ही सरल भाषा में होते हैं, जिससे हर कोई आसानी से समझ सकता है।
वह अक्सर वृंदावन के राधा-कृष्ण मंदिरों में भक्ति कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उनके भजन और प्रवचन यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं, जिसके कारण उनकी लोकप्रियता देश-विदेश में फैल चुकी है। वह अपने भक्तों को सच्चाई, प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं।
प्रसिद्ध कथन
प्रेमानंद जी महाराज के कुछ प्रसिद्ध कथन हैं जो भक्तों को जीवन में प्रेरणा देते हैं। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

- “प्रेम ही भगवान तक पहुँचने का रास्ता है। अपने हृदय में प्रेम जगाओ, भगवान स्वयं तुम तक आएँगे।”
- “सच्ची भक्ति वह है जो मन को शुद्ध कर दे और अहंकार को मिटा दे।”
- “जीवन का असली सुख भगवान के चरणों में है, बाकी सब मोह माया है।”
- “जो भगवान को स्मरण करता है, भगवान उसका हर क्षण साथ देते हैं।”
ये कथन उनके प्रवचनों और भजनों से लिए गए हैं, जो उनके भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
बीमारी और ताजा अपडेट

प्रेमानंद जी महाराज की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में हालिया जानकारी से पता चलता है कि उनकी दोनों किडनी पिछले 17-20 वर्षों से पूरी तरह से फेल हैं, और यह समस्या पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) के कारण है, जो एक आनुवंशिक बीमारी है जिसमें किडनी में कई सिस्ट विकसित हो जाते हैं और अंततः किडनी की कार्यक्षमता समाप्त हो जाती है। वे दैनिक डायलिसिस करवाते हैं, जो लगभग 5 घंटे का होता है, ताकि उनके शरीर से अपशिष्ट पदार्थ निकाले जा सकें और जीवन सुचारू रूप से चल सके।
महाराज जी ने खुद अपने सत्संग में इस बात का जिक्र किया है कि भगवान की कृपा से वे स्वस्थ और सक्रिय हैं और अपनी भक्ति जारी रखे हुए हैं, हालांकि स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद। कई भक्तों, जैसे राज कुंद्रा और एक मुस्लिम युवक आरिफ खान ने उन्हें किडनी दान करने की पेशकश की है, लेकिन महाराज जी ने इन्हें अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उनका मानना है कि जीवन भगवान के हाथ में है। वर्तमान में (अक्टूबर 2025 तक), वे वृंदावन के आश्रम में रहते हुए डायलिसिस जारी रखे हुए हैं और भक्तों से प्रार्थना करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
नेट वर्थ
प्रेमानंद जी महाराज एक संन्यासी हैं, और उनका जीवन सादगी और भक्ति से भरा हुआ है। संन्यासी होने के नाते वह धन-संपत्ति के पीछे नहीं भागते। उनकी कोई व्यक्तिगत संपत्ति या नेट वर्थ के बारे में आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनके भक्तों का कहना है कि उनकी असली संपत्ति उनके भक्तों का प्रेम और कृष्ण भगवान की भक्ति है। वह अपने भक्तों से मिलने वाले दान को धार्मिक और सामाजिक कार्यों में उपयोग करते हैं।
मुस्लिम युवक जिसने मक्का में जाकर दुआ की
प्रेमानंद जी महाराज की भक्ति और उनके प्रवचनों का प्रभाव इतना गहरा है कि उनके भक्तों में हर धर्म और समुदाय के लोग शामिल हैं। एक ऐसी कहानी सामने आ रही है जिसमें एक मुस्लिम युवक, जिसका नाम सूफियान इलाहाबादी है, प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचनों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने मदीना में जाकर प्रेमानंद जी के लिए दुआ की है।

प्रेमानंद जी महाराज की लोकप्रियता
प्रेमानंद जी महाराज की लोकप्रियता का कारण उनकी सरलता और प्रेमपूर्ण प्रवचन हैं। उनके भजन और कथाएँ लोगों के दिलों को छू लेती हैं। वह भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भक्ति को बहुत ही सरल और सुंदर तरीके से समझाते हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर लाखों भक्त उनके भजन और प्रवचन सुनते हैं। वह सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय हैं, और उनके फॉलोअर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उनके प्रवचनों में भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों की शिक्षाएँ शामिल होती हैं। वह अपने भक्तों को सिखाते हैं कि जीवन में सच्चा सुख भगवान की भक्ति और प्रेम में है। उनकी शिक्षाएँ न केवल धार्मिक हैं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी हैं।
प्रेमानंद जी महाराज की महिलाओं पर विवादित टिप्पणी और विवाद
प्रेमानंद जी महाराज (वृंदावन वाले), जो राधा-कृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, हाल ही में एक बयान की वजह से सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर चर्चा का केंद्र बन गए थे। यह विवाद जुलाई 2025 में शुरू हुआ, जब उनके एक छोटे से वीडियो क्लिप ने हंगामा खड़ा दिया। सवाल यह है कि उन्होंने महिलाओं के विषय में क्या विवादित वयान दिया?
विवाद का विवादित बयान
प्रेमानंद जी महाराज का यह बयान एक निजी बातचीत या सत्संग के दौरान का है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो क्लिप में वे कहते हैं:
“आज के समय में 100 में से मुश्किल से दो-चार लड़कियां ही पवित्र होती हैं। बाकी सब बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चक्कर में लगी हुई हैं। जो लड़की चार लड़कों से मिल चुकी है, वो कैसे सच्ची बहू बनेगी? और जो लड़का चार लड़कियों से मिल चुका है, वो कैसे सच्चा पति बनेगा?”
यह बयान लगभग 14-20 सेकंड का है, लेकिन पूरा संदर्भ देखें तो वे युवाओं की नैतिकता और आधुनिक रिश्तों (जैसे लिव-इन रिलेशनशिप) पर चिंता जता रहे थे। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से टिप्पणी की, मगर सोशल मीडिया पर इसको महिला विरोधी बयान के रूप में दिखाया गया जिसने काफी हंगामा खड़ा कर दिया।
निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज एक ऐसे संत हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और लोगों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाने में समर्पित कर दिया। उनके प्रारंभिक जीवन से लेकर संन्यास तक का सफर प्रेरणादायक है। उनकी सरलता, प्रेम और भक्ति ने लाखों लोगों के दिलों को जीत लिया है। उनके प्रसिद्ध कथन और प्रवचन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। 2025 में वह पूरी तरह से सक्रिय हैं और अपने भक्तों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।








