Subhdra Kumari Chauhan Biography in Hindi | सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

By Santosh Kumar

Published On:

Follow Us
Subhdra Kumari Chauhan Biography in Hindi | सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी साहित्य जगत की प्रमुख कवयित्री और लेखिका हैं और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान के लिए जानी जाती हैं। हिंदी साहित्य की महिला लेखिकाओं में सुभद्रा कुमारी चौहान का स्थान अग्रणीय है। इस लेख Subhdra Kumari Chauhan Biography in Hindi में हम उनके साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान की चर्चा करेंगे।  झाँसी की रानी उनकी प्रसिद्ध कविताओं में से एक है।

Subhdra Kumari Chauhan Biography in Hindi | सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

प्रारम्भिक जीवन (Subhdra Kumari Chauhan Biography in Hindi)

सुभद्रा कुमारी चौहान ब्रिटिश भारत में जन्म सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थी। विकिपीडिया के अनुसार उनका जन्म इलाहबाद (अब प्रयागराज) के गांव निहालपुर, उत्तर प्रदेश में 16 अगस्त, 1904 को (नागपंचमी के दिन) हुआ था। एक जमींदार परिवार में जन्मी सुभद्रा के पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह’ था और माता का नाम ‘धिराज कुंवर’ था। अपने परिवार में सुभद्रा सातवीं संतान थी।

यह भी पढ़िए- मैत्रेयी पुष्पा का जीवन परिचय और रचनाऐं | Maitraiyi Pushpa Biography in hindi

शिक्षा ( Education)

सुभद्रा कुमारी की प्रारम्भिक शिक्षा पिता ठाकुर रामनाथ सिंह के सानिध्य में हुई। क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद में अध्ययन के समय महादेवी वर्मा उनकी जूनियर और सहेली थीं। 1919 में, उन्होंने मिडिल स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की।

विवाह और संतान

सुभद्रा कुमारी चौहान का जिस समय विवाह हुआ उस समय उनकी आयु लगभग 15 वर्ष थी। उनका विवाह ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान’ (20 फरवरी 1919 में) के साथ हुआ, जो उनके भाई रामप्रसाद सिंह के मित्र और सहपाठी थे। विवाह के बाद उनकी पांच संतान हुई। जिनके नाम सुधा चौहान, अशोक चौहान, ममता चौहान, विजय चौहान, अजय चौहान। पुत्री सुधा चौहान ने सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी लिखी है।

सुभद्रा कुमारी चौहान अपने पति ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ

स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

1919 घटी जलियावाला बाग की घटना ने देशभर में आक्रोश का माहौल पैदा किया और सुभद्रा कुमारी और उनके पति भी इससे अछूते नहीं रहे और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए असहयोग आंदोलन (1920-22) में सक्रीय भूमिका निभाई। वह असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाली प्रथम महिला स्वतंत्रता सेनानी थी। मात्र 18 वर्ष की किशोरावस्था में नागपुर झंडा सत्याग्रह (1923) में शामिल हुई और जेल गईं। महात्मा गाँधी के 1930 के नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सौभद्र कुमारी ने सक्रीय भूमिका निभाई। व्यक्तिगत सत्याग्रह (1941) में वे पुनः जेल गईं।

सुभद्रा कुमारी चौहान ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी कविताओं और भाषणों के माध्यम से महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। “झाँसी की रानी” कविता संग्रह के माध्यम से उन्होंने क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों में जोश भरा।

यह भी पढ़िएDraupadi Murmu Education, Net Worth | द्रौपदी का जीवन परिचय हिंदी में

साहित्यिक योगदान

सुभद्रा कुमारी चौहान एक तरह जहाँ स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभा रही थीं, दूसरी ओर उन्होंने अपने कविताओं और कहानियों के माध्यम से लोगों में देश प्रेम की भावना को जगाया। उन्होंने दलितों, पिछड़ों, महिलाओं और बंचित समाज की आवाज को बेवाकी से अपने लेखन में स्थान दिया।

उनका प्रथम कहानी संग्रह “बिखरे मोती” था। यह चौदह कहानियों का संग्रह था जिसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंछलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम्ब के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा शामिल हैं। इस कहानी संग्रह की विशेषता इसकी सरल आम बोलचाल की भाषा है। उनका अधिकांश लेखन महिला प्रधान है।

1934 में उनका दूसरा कहानी संग्रह “उन्मादिनी” प्रकाशित हुआ। यह नौ कहानियों का संग्रह था जिसमें उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, व वेश्या की लड़की शामिल हैं। इस कहानी संग्रह में समाज में प्रचलित कुरीतियों और पारिवारिक समस्याओं को स्थान दिया गया है।

यह भी पढ़िएसावित्री बाई फुले जयंती, भारत की प्रथम महिला शिक्षिका | SavitriBai Phule Jayanti

सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा कहानी संग्रह ‘सीधे साधे चित्र’ 1947 में प्रकाशित हुआ था जिसमें कुल 14 कहानियों का संग्रह था।

कहानी संग्रह

संग्रह का नामप्रकाशन वर्षकहानियों के नामविशेषताएँ
बिखरे मोती (पहला संग्रह)19321. भग्नावशेष
2. होली
3. पापीपेट
4. मंछलीरानी
5. परिवर्तन
6. दृष्टिकोण
7. कदम्ब के फूल
8. किस्मत
9. मछुये की बेटी
10. एकादशी
11. आहुति
12. थाती
13. अमराई
14. अनुरोध
15. ग्रामीणा
– सरल, बोलचाल की भाषा
– अधिकांश कहानियाँ नारी विमर्श पर केंद्रित
उन्मादिनी (दूसरा संग्रह)19341. उन्मादिनी
2. असमंजस
3. अभियुक्त
4. सोने की कंठी
5. नारी हृदय
6. पवित्र ईर्ष्या
7. अंगूठी की खोज
8. चढ़ा दिमाग
9. वेश्या की लड़की
– पारिवारिक व सामाजिक विषयों पर आधारित
सीधे-सादे चित्र (तीसरा व अंतिम संग्रह)1947नारी-केंद्रित कहानियाँ:
1. रूपा
2. कैलाशी नानी
3. बिआल्हा
4. कल्याणी
5. दो साथी
6. प्रोफेसर मित्रा
7. दुराचारी
8. मंगला

राष्ट्रीय विषयों पर कहानियाँ:
9. हींगवाला
10. राही
11. तांगे वाला
12. गुलाबसिंह
(कुल 14 कहानियाँ)
– नारी प्रधान व सामाजिक समस्याएँ
– कुछ कहानियाँ राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत

भाषा शैली 

सुभद्रा कुमारी चौहान ने आमजन की भाषा में साहित्य की रचना की। उन्होंने सीधी, सरल और सामान्यजन की भाषा में साहित्य का सृजन किया। उनके लेकिन में राष्ट्रप्रेम, सामजिक सद्भावना, और वात्सल्य का भाव स्पष्ट नज़र आता है। उन्होंने आमजन की भाषा में सरल और सीधे शब्दों का प्रयोग किया जो आसानी से समझ आता है। कड़ी बोली को आधार बनाकर उन्होंने साहित्य को रोचक आधार दिया है।

उनके साहित्य लेखन मे में तत्सम, तत्भव, देशज तथा अनुकरणात्मक शब्दों से सजाया गया है। उन्होंने अपने लेखन को अधिक प्रभवशाली और सारगर्भित बनाने के लिए अलंकारों, छंदों के अलावा अभिधा, लक्षणा और व्यंजना शैली का प्रयोग किया है।

यह भी पढ़िएOlympe de Gouges : एक फ्रांसीसी महिला जिसने सबसे पहले उठाई महिला अधिकारों की मांग महिला दिवस पर निबंध

कृतियाँ

श्रेणीकृति का नामप्रकाशन वर्षविशेष विवरण
कहानी संग्रहबिखरे मोती193215 कहानियाँ; नारी विमर्श पर केंद्रित
उन्मादिनी19349 कहानियाँ; पारिवारिक-सामाजिक विषय
सीधे-साधे चित्र194714 कहानियाँ; नारी व राष्ट्रीय विषय
सीधे-साधे चित्र (संपूर्ण संस्करण)1983हंस प्रकाशन, इलाहाबाद; सभी संकलित-असंकलित कहानियाँ
कविता संग्रहमुकुलउनकी प्रारंभिक कविताएँ
त्रिधारातीन कवयित्रियों (सुभद्रा, महादेवी व एक अन्य) का संयुक्त संग्रह
मुकुल तथा अन्य कविताएँहंस प्रकाशन; बाल कविताओं को छोड़कर समस्त कविताएँ
प्रसिद्ध कविताएँझाँसी की रानी, जलियाँवाला बाग में बसंत, वीरों का कैसा हो बसंत, स्वदेश के प्रति, झंडे की इज्जत में, सभा का खेल, बोल उठी बिटिया मेरी आदि।
बाल-साहित्यझाँसी की रानी (बालोपयोगी)रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा
कदम्ब का पेड़बच्चों के लिए कविताएँ
सभा का खेलबाल-कविता संग्रह
जीवनी/आलोचनामिला तेज से तेजसुधा चौहान द्वारा लिखित; सुभद्रा व लक्ष्मण सिंह चौहान की संयुक्त जीवनी (हंस प्रकाशन)

मृत्यु का कारण

सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन एक सड़क दुर्घटना में की 15 फरवरी, 1948 को हुआ उस समय उनकी आयु मात्र 44 वर्ष थी। सुभद्रा कुमारी चौहान के सवतंत्रता आंदोलन में योगदान और साहित्यिक योगदान के लिए आज भी याद किया जाता है।

पुरस्कार और सम्मान

सुभद्रा कुमारी चौहान को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया-

सम्मान/पुरस्कारवर्षविवरण
सेकसरिया पारितोषिक1931कविता-संग्रह ‘मुकुल’ के लिए प्रदान किया गया।
सेकसरिया पारितोषिक1932कहानी-संग्रह ‘बिखरे मोती’ के लिए (दूसरी बार) सम्मानित किया गया।
भारतीय डाक-टिकट19766 अगस्त 1976 को उनके सम्मान में 25 पैसे का डाक-टिकट जारी किया गया।
भारतीय तटरक्षक सेना का जहाज़ नामकरण200628 अप्रैल 2006 को एक भारतीय तटरक्षक जहाज़ को “सुभद्रा कुमारी चौहान” का नाम दिया गया।
गूगल डूडल  20212021 में उनके 117 वे जन्मदिन पर Google ने Doodle बनाकर सम्मान दिया।

निष्कर्ष

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं को प्रेरित किया और स्वयं भी सक्रीय भूमिका निभाई। उनके योगदान को देश आज भी याद करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-FAQs

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म अब और कहां हुआ था?

उत्तर- 16 अगस्त, 1904 को निहालपुर गांव, इलाहबाद में एक जमींदार परिवार में हुआ।

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किसकी संतान थी?

उत्तर- माता ‘धिराज कुंवर’ और ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ की सातवीं संतान थी। 

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान के पति कौन थे?

उत्तर- ‘ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान’

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान की कितनी संतान थी?

उत्तर- उनकी कुल पांच संतान थी- पांच संताने हैं, सुधा चौहान, अशोक चौहान, ममता चौहान, विजय चौहान, अजय चौहान। 

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह कितनी वर्ष की आयु में हुआ?

उत्तर- सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह मात्र 15 वर्ष की अवस्था में  20 फरवरी, 1919 को लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ।

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान की लिखी प्रमुख कविता कौन सी है?

उत्तर- झाँसी की रानी, ‘वीरों का कैसा हो वसंत?’ उनकी प्रसिद्ध कविता है।

प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान निधन कैसे और कब हुआ?

उत्तर- सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन (15 फरवरी, 1948) को एक सड़क दुर्घटना में हुआ।

Santosh Kumar

My name is Dr Santosh Kumar Sain and I am a Government Teacher. I am fond of writing and through this blog I will introduce you to the biographies of famous women.

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Related Posts

Leave a Comment

error: Content is protected !!