Chhath Geet lyrics in Hindi- छठ महापर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में सूर्योपासना का सबसे बड़ा उत्सव है। यह चार दिनों का कठिन व्रत है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल होते हैं। लेकिन छठ की असली आत्मा बसती है उसके लोकगीतों में – जिन्हें छठ गीत या छठी मइया के गीत कहते हैं। ये गीत मां छठी और सूर्य देव की स्तुति करते हैं, प्रकने की मिठास लिए होते हैं और घर-घर में महिलाएं इन्हें गाकर व्रत की कठिनाई को भूल जाती हैं।
आज हम आपके लिए लाए हैं पांच पारंपरिक छठ गीतों के बोल, जो सदियों से चले आ रहे हैं। ये बोल मौलिक रूप से लोक स्मृति पर आधारित हैं और किसी कॉपीराइटेड स्रोत से नहीं लिए गए हैं। इन्हें गाकर आप भी छठ की महक महसूस कर सकते हैं।

Chhath Geet lyrics in Hindi | छठ पूजा के पारंपरिक गीत
1. केलवा जे फरेला घवद से… (खरना प्रसाद का गीत)
केलवा जे फरेला घवद से
ओह पर सुगा मेड़राय चढ़ल हो
सात बहिनिया के भैया पुकारे
छठी मइया के पूजब हम, दूबराय चढ़ल होरसियावन के रस खाय लें
ठेकुआ के मीठ खाय लें
छठी मइया के प्रसाद चढ़ाय लें
दूबराय चढ़ल हो…
अर्थ: केले के पत्ते पर ठेकुआ और खीर चढ़ाकर सुगा (तोता) को बुलाया जाता है। सात बहनों का भाई छठी मइया की पूजा करता है।
2. उगु ना सूरज देव… (संध्या अर्घ्य का गीत)
उगु ना सूरज देव, बिनती करेली
हमर अर्घ्य स्वीकार करींडूबते समय तोहरा देखनी
चढ़ते समय तोहरा देखनी
छठी मइया के कृपा से
संतान सुख हमरा दिहनीकोसी के पानी चढ़ावनी
दूध-चावल के खीर चढ़ावनी
सूरज देव के अर्घ्य दिहनी
बिनती करेली…
अर्थ: सूर्य देव से विनती है कि डूबते और उगते समय अर्घ्य स्वीकार करें। छठी मइया की कृपा से संतान सुख मिले।

3. पहिले पहिल चढ़ल बा अर्घिया… (उषा अर्घ्य का गीत)
पहिले पहिल चढ़ल बा अर्घिया
सूरज देव के नाम
छठी मइया के चरणन में
हमरा प्रणामबांस के सूप में ठेकुआ रखनी
नारियल, केला, सिंघाड़ा चढ़नी
गंगा जल से अर्घ्य दिहनी
सूरज देव के नाम…
अर्थ: सुबह का पहला अर्घ्य सूर्य देव को। बांस के सूप में प्रसाद सजाकर छठी मइया को प्रणाम।
4. कांच ही बांस के बहंगी… (व्रती महिलाओं का गीत)
कांच ही बांस के बहंगी
बहंगी लचकत जाए
छठी मइया के पूजा करीं
मनवा आनंदित हो जाएघाटे पर कोसी भरल बा
दीप ज्वाला जलल बा
छठी मइया के कृपा से
घरवा सुख-समृद्धि आए…
अर्थ: बांस की बहंगी में प्रसाद लेकर घाट जाती व्रती महिलाएं। कोसी भरने और दीप जलाने से घर में सुख आता है।
5. हे छठी मइया… (आशीर्वाद का गीत)
हे छठी मइया, तोहरे कृपा से
संतान सुख पावनी
घरवा में धन-धान्य भर दs
दुख-दरिद्र मिटावनीसूरज देव के किरण से
जीवन में उजाला हो
छठ व्रत के पुण्य से
हर मनोकामना पूरा हो…
अर्थ: छठी मइया से संतान, सुख और समृद्धि की कामना। सूर्य की किरणों से जीवन में प्रकाश आए।
छठ गीतों की विशेषताएं
- भाषा: शुद्ध अंगिका, भोजपुरी और मैथिली का मिश्रण।
- सुर: लोक लय में गाए जाते हैं, बिना किसी वाद्य यंत्र के।
- गायन: मुख्यतः महिलाएं गाती हैं, घाट पर खड़ी होकर।
- प्रसाद का जिक्र: ठेकुआ, खीर, केला, सिंघाड़ा, नारियल हर गीत में आता है।
घर पर गाएं, छठ की महक बिखेरें
ये गीत न सिर्फ धार्मिक हैं, बल्कि संस्कृति का जीवंत दस्तावेज हैं। इन्हें गाकर आप अपने बच्चों को हमारी परंपरा से जोड़ सकते हैं। चाहे आप घाट पर हों या शहर के फ्लैट में – छठ गीत की एक लाइन भी काफी है, छठी मइया को खुश करने के लिए।
“कांच ही बांस के बहंगी, बहंगी लचकत जाए…”
गुनगुनाइए, और देखिए कैसे मन शांत हो जाता है।
जय छठी मइया! 🌞🙏
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