प्रति वर्ष 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day (IWD))(IWD) धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को याद करने करने के साथ-साथ लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। जैसे-जैसे हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के करीब आ रहे हैं, इस दिन के बारे में जानने को उत्सुक हैं। “#AccelerateAction” (प्रक्रिया में तेजी) वर्ष 2025 के लिए थीम निश्चित की गई है।
इस लेख में, हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास, इसके महत्व और 2025 के जश्न कैसे मना सकते हैं, इस पर चर्चा करेंगे। 8 मार्च की शुरुआत से लेकर इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाली प्रेरणादायक महिलाओं तक, IWD के प्रतीकात्मक रंगों से लेकर भारत जैसे देशों में इसके प्रभाव तक, हम सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

International Women’s Day- 8 मार्च को ही महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?
प्रति वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) मनाया जाता है, इस दिन को विश्व महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो दुनियाभर में महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को सम्मानित करने का दिन होता है। लेकिन लोग यह भी जानना चाहते हैं कि यह दिन विशेष रूप से 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? इसका इसका जवाब हमें ऐतिहासिक गहराई में जाकर मिलेगा जब रूस की क्रांति 1917 का अंकुरण हुआ।
Why is International Women’s Day celebrated only on 8 March?- 8 मार्च का ऐतिहासिक महत्व
8 मार्च की तारीख को 1917 में रूसी क्रांति के दौरान घटित एक महत्वपूर्ण घटना को याद करने के लिए चुना गया था। दरअसल इस दिन, पेट्रोग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में भूख और महंगाई से त्रस्त महिलाओं ने “रोटी और शांति” की मांग करते हुए एक हड़ताल का आयोजन किया। यह विरोध प्रदर्शन प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918 ) की कठिन परिस्थितियों और महिलाओं के साथ हो रहे लैंगिक भेदभाव के खिलाफ था। यह हड़ताल एक बड़े आंदोलन में परिवर्तित हो गई, जिसके कारण रूस के जार ( जार निकोलस द्वितीय ) को सत्ता से हटना पड़ा और महिलाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ।
इस ऐतिहासिक घटना ने महिलाओं के अधिकारों के लिए वैश्विक संघर्ष में एक निर्णायक प्रेरित करने वाली घटना का रूप ले लिया। 1977 में, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता प्रदान कर दी, ताकि इस ऐतिहासिक क्षण को दुनियाभर में याद किया जा सके और लैंगिक समानता और अधिकारों को बढ़ावा दिया जा सके।
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब और कहाँ मनाया गया
महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए एक महत्वपूर्ण दिन को मनाने का विचार, क्लारा ज़ेटकिन, एक जर्मन समाजवादी और महिला अधिकार कार्यकर्ता, ने 1910 में कोपेनहेगन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कामकाजी महिला सम्मेलन में प्रस्तावित किया था। उनके प्रस्ताव को 17 देशों की 100 से अधिक महिलाओं ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया, और प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च, 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया।
लेकिन समय के साथ, इस दिन को 8 मार्च को मनाया जाना तय हुआ, ताकि यह रूसी महिलाओं की हड़ताल के महत्व को सम्मान मिल सके, जिसने दुनियाभर की महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया था।
8 मार्च का वर्तमान समय में महत्व
8 मार्च हमें लैंगिक समानता की लड़ाई में हुई प्रगति और अभी कितना प्रयास किया जाना बाकि है की ज्यादा दिलाता है। यह दिन विज्ञान, राजनीति, कला, व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने के साथ-साथ समान वेतमान और सुविधाएं, सभी क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व, और महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा जैसी चुनौतियों पर प्रकाश डालता है। 8 मार्च को दुनियाभर में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा होती है।
When and Where Was Women’s Day First Celebrated?– महिला दिवस पहली बार कब और कहाँ मनाया गया?
पहली बार महिला दिवस 19 मार्च, 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था। इस घटना को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) के रूप में याद किया गया, जिसे 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में एक जर्मन कार्यकर्ता क्लारा ज़ेटकिन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इस दिन को मनाये जाने का उद्देश्य, महिलाओं के मताधिकार, बेहतर कामकाजी परिस्थितियाँ और लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के लिए मनाया जाता है।
महिला दिवस मनाये जाने का विचार संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पन्न हुआ था, जहाँ सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने 28 फरवरी, 1909 को प्रथम राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया था, 1908 में न्यूयॉर्क शहर में समान वेतन, कम काम के घंटे और मतदान के अधिकार की माँग करते हुए महिलाओं के एक बड़े मार्च के बाद यह निर्णय लिया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए 8 मार्च के दिन को बाद में 1917 में अपनाया गया, जब क्रांति के दौरान रूसी महिलाओं ने 23 फरवरी (जूलियन कैलेंडर) को “रोटी और शांति” के लिए हड़ताल की, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में 8 मार्च के अनुरूप थी। इस हड़ताल ने रूसी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता प्रदान कर दी गई।
संक्षेप में कहें तो, महिला दिवस प्रथम बार 19 मार्च, 1911 को यूरोप में मनाया गया था, लेकिन इसकी जड़ें 1909 में अमेरिका में हुए श्रमिक आंदोलन से जुड़ी हैं, और बाद में रूस की क्रांति के घटनाक्रम ने इसके ऐतिहासिक महत्व को सिद्ध करके 8 मार्च को विश्व स्तर पर मान्यता हासिल की।
Women’s Day History: महिला दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विचार पहली बार जर्मन समाजवादी और महिला अधिकार कार्यकर्ता क्लारा ज़ेटकिन द्वारा कोपेनहेगन में 1910 के अंतर्राष्ट्रीय कामकाजी महिलाओं के सम्मेलन के दौरान प्रस्तावित किया गया था। उनका दृष्टिकोण महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने के लिए एक विश्वव्यापी दिवस बनाना था, और उनके प्रस्ताव को 17 देशों की 100 से अधिक महिलाओं ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD), जो प्रति वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है, महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने का एक वैश्विक अवसर है। यह लैंगिक समानता को बढ़ाने के लिए कार्रवाई के आह्वान के रूप में भी मनाया जाता है। महिला दिवस का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत के श्रम और समान मताधिकार आंदोलनों से गहरे से जुड़ा है।

महिला दिवस का प्रारंभिक चरण (1908-1909)
महिला दिवस का जन्म 28 फरवरी, 1909 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ, जब सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने प्रथम राष्ट्रीय महिला दिवस आयोजित किया था। इस कार्यक्रम ने 1908 में कपड़ा मिल में काम करने वाले मजदूरों की हड़ताल का समर्थन और सम्मान किया, जहाँ महिलाओं ने अपने कार्यस्थलों पर खराब कामकाजी परिस्थितियों, कम वेतन और मतदान के अधिकार की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। यहीं से महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए आंदोलन तथा राजनीतिक मांग को बल मिला।
महिला दिवस का अंतर्राष्ट्रीय विस्तार (1910)
1910 में, डेनमार्क के कोपेनहेगन में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में, जर्मन सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता क्लारा ज़ेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विचार सर्वप्रथम प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव को 17 देशों की 100 से अधिक महिलाओं ने सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान कर दी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में महिलाओं के लिए मताधिकार सहित समान अधिकारों को संरक्षण देना था। महिलाओं के लिए बराबरी हासिल करना प्रथम उद्देश्य था।
महिला दिवस का प्रथम जश्न (1911)
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च, 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था। महिलाओं के काम करने, वोट देने और सार्वजनिक पद संभालने के अधिकारों की वकालत करने वाली रैलियों में दस लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए थे। इस प्रकार महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए यूरोप के देशों की महिलाओं ने आधुनिक महिला दिवस की नींव रखी। आज जिस दिन को हम धूम धाम से मना रहे हैं उसका अंकुरण यूरोप से ही हुआ।
रूसी क्रांति (1917) का महत्व और प्रभाव
8 मार्च, 1917 (ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ) को रूस में महिलाओं ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान “रोटी और शांति” के लिए हड़ताल की, लम्बे युद्ध और खाद्यान्न की कमी को समाप्त करने की मांग की। इस हड़ताल ने रूसी क्रांति को जन्म दिया और 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को विश्वव्यापी स्वीकृति मिली। रूस आज भले ही कितना आधुनिक और प्रगतिशील लगे लेकिन 100 साल पहले का रूस महिलाओं के लिए किसी नरक से काम नहीं था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब रूस ने अपने संसाधनों को युद्ध में झोंका तो वहां आर्थिक परिस्थितियों ने विद्रोह को जन्म दिया। और इसका शुभारम्भ महिलाओं ने किया।

महिला दिवस को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता (1975)
1977 में, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता प्रदान कर दी और इसे प्रति वर्ष मनाना शुरू किया। तब से, संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष वैश्विक स्तर पर महिलाओं को प्रभावित करने वाले विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हर वर्ष एक नई थीम निर्धारित की है। प्रतिवर्ष एक थीम के माध्यम से विश्वभर में महिलाओं के उत्थान और विकास के लिए योजनाएं निर्धारित की जाती हैं। भारत सहित प्रत्येक देश महिलाओं के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन इस्लामिक देशों में महिलाओं को धर्म के नाम पर बहुत गैर मानवीय कानूनों का पालन करना पड़ता है।
अब तक निर्धारित कुछ थीम और फोकस
प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है यहाँ पहले निर्धारित की गईं थीम को देखा जा सकता है:-
2025: #AccelerateAction महिलाओं की तेज प्रगति
2023: डिजिटऑल: (DigitALL) विश्व में लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी की भूमिका।
2022: एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता (Gender equality today for a sustainable tomorrow)
2021: चुनौती चुनें (Choose to Challenge)
अंतरष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व
विश्व महिला दिवस लैंगिक समानता और अधिकारों की दिशा में की गई प्रगति और वेतन असमानता, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और नेतृत्व की भूमिकाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिए अभी भी बहुत कार्य किया जाना बाकि है, की याद दिलाता है। यह महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाता है और साथ ही एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत विश्व की वकालत करता है। लेकिन आज भी बहुत से देश महिलाओं की प्रगति को पुरुषों के लिए खतरा मानते हैं, विशेष रूप से इस्लामिक दशों में महिलाओं के हितों की अनदेखी की जाती है और उन्हें पर्दे में रखा जाता है। साथ ही उन्हें पुरुष जैसे अधिकारों से बंचित रखा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम और रंग
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) 2025 की थीम #AccelerateAction है, जो वैश्विक लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को तेज करने की तात्कालिक आवश्यकता पर बल देती है। वर्तमान गति के साथ, पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने में 2158 तक का समय लग सकता है। यह थीम महिलाओं के सामने आने वाली व्यवस्थागत बाधाओं और पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए निर्णायक और सामूहिक कार्रवाई के महत्व को दर्शाती है। आज भी विश्व में महिलाओं के प्रति सोच को परिवर्तित करना अत्यंत आवश्यक है। मगर प्रतिदिन महिलाऐं घर से लेकर कार्य स्थलों तक प्रताड़ित और भेदभाव का शिकार होती हैं।
2025 की थीम के प्रमुख महत्वपूर्ण पहलू:
परिवर्तन की तात्कालिकता: यह थीम वैश्विक लैंगिक असमानता, विशेष रूप से आर्थिक भागीदारी, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए त्वरित और प्रभावी उपायों की मांग करती है। उम्मीद की जाती है कि विश्व के देशों की सरकारें और सामाजिक संगठन महिलाओं के लिए तीव्र गति से परिवर्तनों को अंजाम देंगे।
वैश्विक एकजुटता: यह व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को महिलाओं के लिए काम करने वाले चैरिटी को समर्थन देने, रूढ़िवादी सोच को चुनौती देने और महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने जैसे ठोस कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करती है। सरकार और सामाजिक संगठनों के ऊपर यह ज़िम्मेदारी है कि महिलाओं के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाएं।
अंतर्विभाजकता-इंटरसेक्शनलिटी (Intersectionality): थीम के माध्यम से समावेशिता पर जोर देना उद्देश्य है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रगति सभी महिलाओं, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं को लाभ पहुंचाए। भारत जैसे देशों में आज भी हाशिये पर एक ऐसा समुदाय है जिसे न तो सामाजिक सहभगिता मिली और न राजनितिक।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के रंग:
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़े पारंपरिक रंग बैंगनी, हरा और सफेद हैं, जो इस आंदोलन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं, यह रंग इसके महत्व को गहराई से समझने के लिए निर्धारित किये गए हैं।
- बैंगनी: यह रंग महिलाओं के लिए न्याय और गरिमा का प्रतिनिधित्व करता है, जो लैंगिक समानता के प्रति प्राकृतिक निष्ठा को दर्शाता है।
- हरा: हरा रंग महिलाओं के लिए आशा और विकास का प्रतीक है, जो महिलाओं के अधिकारों में हो रही प्रगति को दर्शाता है।
- सफेद: सफ़ेद रंग महिलाओं के प्रति ईमानदारी और शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है, हालांकि इसकी ऐतिहासिक संदर्भों के कारण इस अवधारणा पर कभी-कभी बहस होती है। लेकिन यह माना जाना चाहिए कि विश्व की महिलाऐं सम्मान और अधिकारों के लिए समाज और सरकारों से ईमानदारी की उम्मीद करती हैं।
इसके अलावा, स्पेनिश वायलेट को IWD 2025 के लिए एक महत्वपूर्ण रंग के रूप में चुना गया है, जिसके हेक्स और RGB कोड डिजाइन और ब्रांडिंग उद्देश्यों के लिए प्रदान किए गए हैं।
भारत में विश्व महिला दिवस 2025
भारत में विश्व महिला दिवस मुख्य रूप से राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में 13 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारत की स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख हस्ती और महिला अधिकारों की पैरोकार और उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल सरोजिनी नायडू की जयंती के साथ मेल खाता है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी पूरे विश्व की तरह भारत में 8 मार्च को मनाया जाता है। 2025 के लिए इन दोनों उत्सवों का विवरण नीचे दिया गया है:

भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस (13 फरवरी, 2025)
तिथि और महत्व: भारत में प्रतिवर्ष 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू की जयंती के रूप में महिला दिवस मनाया जाता है, सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” कहा जाता है। वे एक सवतंत्रता सेनानी, कवयित्री और महिलाओं के अधिकारों की पैरोकार थीं। उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। उनके सामजिक और राजनीतिक देने के लिए भारत में 13 फरवरी को महिला दिवस मनाया जाता है।
भारत में निर्धारित थीम और फोकस:
लैंगिक समानता: भारत जैसे देशों में आज भी महिलाओं के लिए शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व में समान अवसरों की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। भारत की वर्तमान सरकार ने महिलाओं को नरत्व और सम्मान देने के लिए बहुत सी योजनाओं को शुरू किया है और इनका प्रभाव आने वाले कुछ वर्षों में देखने को अवश्य मिलेगा।
महिला सशक्तिकरण: राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना हम सबका प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए। भारत का संविधान लैंगिक असमानता को खत्म करने की दिशा में प्रयाप्त शक्तियां प्रदान करता है मगर समाज और सरकारों ने कभी ईमानदारी से संविधान का पालन नहीं किया है और देश की आधी आबादी को हाशिये पर रखकर विकास की कल्पना को साकार कैसे किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण: व्यक्तिगत, पेशेवर और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाने में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को संबोधित करना। स्वस्थ महिला ही स्वस्थ संतान को जन्म देगी। स्वस्थ संतान स्वस्थ देश को नेतृत्व प्रदान करेगी।
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सरोजिनी नायडू की विरासत: वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष (1925) और स्वतंत्र भारत की प्रथम महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश, 1947–1949) थीं। उनकी कविताएं, जैसे “इन द बाजार्स ऑफ हैदराबाद” और “द गिफ्ट ऑफ इंडिया”, भारतीय संस्कृति और देशभक्ति का जश्न मनाती हैं। उन्होंने महिला शिक्षा, मतदान अधिकार और विधवा पुनर्विवाह तथा बाल विवाह जैसे सामाजिक सुधारों की वकालत की। उनकी विरासत भारत के लिए सदा प्रेरणादायी रहेगी और विशेष रूप से महिलाओं की प्रगति के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में रहेगी।
भारत में महिला अधिकारों में प्रमुख मील के पत्थर:
- 1917: स्वाधीनताआंदोलन के दौरान महिला भारतीय संघ ने महिलाओं के लिए मतदान अधिकार की मांग की। इस क्रम में एनी बेसेंट ने मुख्य भूमिका निभाई।
- 1947: स्वतंत्रता के बाद महिलाओं को समान मतदान अधिकार मिले। भारत का संविधान और तत्कालीन राष्ट्र्वादी नेताओं ने महिलाओं आगे लाने में मुख्य भमिका निभाई।
- 1956: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम ने महिलाओं को समान उत्तराधिकार अधिकार दिए। यह अधिकार बाबा साहब डॉ आंबेडकर के प्रयासों का फल था, जिसका विरोध हिन्दू नेताओं ने किया और आंबेडकर को राजनीती से सन्यास लेना पड़ा।
- 1992: 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन ने स्थानीय सरकार में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कीं। लेकिन अभी इसके लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ेगा।
- 2023: महिला आरक्षण बिल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% आरक्षण सुनिश्चित किया। संसद ने महिलाओं की राजनितिक भागीदारी को सुनिश्चित किया है मगर कई प्रश्न हैं जिनका हल निकाला जाना आवश्यक है। जैसे क्या गरीब नाहिलाएँ कभी संसद में पहुँच पाएंगी?
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तुलना
पहलू | राष्ट्रीय महिला दिवस (भारत) | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस |
---|---|---|
तिथि | 13 फरवरी | 8 मार्च |
फोकस | सरोजिनी नायडू और भारतीय महिलाओं की उपलब्धियां | वैश्विक महिलाओं की उपलब्धियां और अधिकार |
दायरा | भारत-विशिष्ट | विश्वव्यापी |
थीम | लैंगिक समानता, सशक्तिकरण, नेतृत्व | सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए अधिकार, समानता, सशक्तिकरण |
महिला दिवस 2025 के लिए प्रेरणादायक उद्धरण

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और महिलाओं के योगदान को मान्यता देने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है। यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने, लैंगिक असमानता के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और सभी के लिए एक न्यायसंगत भविष्य की दिशा में कार्रवाई को प्रेरित करने का अवसर प्रदान करता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 मनाने के तरीके
- सोशल मीडिया: #AccelerateAction संदेश साझा करें और एकजुटता दिखाने के लिए पोस्ट करें।
- इवेंट्स: लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित करें या उनमें भाग लें।
- जागरूकता: IWD पोस्टर प्रदर्शित करें और आधिकारिक रंगों का उपयोग करें।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न-FAQs
Q. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की तारीख क्या है?
Ans. 8 मार्च 2025।
Q. 2025 की थीम क्या है?
Ans. “#AccelerateAction”।
Q. 8 मार्च का क्या महत्व है?
Ans. यह 1917 में रूस में महिलाओं की हड़ताल की याद दिलाता है।
Q. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रस्ताव किसने दिया?
Ans. क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में।
Q. IWD के आधिकारिक रंग क्या हैं?
Ans. बैंगनी, हरा और सफेद।
Q. भारत में IWD कैसे मनाया जाता है?
Ans. फिल्म महोत्सव, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से।
Q. बीजिंग घोषणा क्या है?
Ans. 1995 में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक खाका।
Q. मैं IWD का समर्थन कैसे कर सकता हूं?
Ans. कार्यक्रमों में भाग लें, दान करें या कहानियां साझा करें।
Q. लैंगिक वेतन अंतर क्या है?
Ans. महिलाएं वैश्विक स्तर पर पुरुषों की तुलना में 23% कम कमाती हैं।
Q. कौन से देश IWD को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाते हैं?
Ans. रूस, चीन और जर्मनी, अन्य के बीच।
Q. IWD पर बैंगनी रंग का क्या महत्व है?
ANS. यह न्याय और गरिमा का प्रतीक है।
Q. IWD कैसे शुरू हुआ?
Ans. यह 1911 में महिलाओं के अधिकारों के लिए रैलियों के साथ शुरू हुआ।
Q. UN महिलाओं की क्या भूमिका है?
Ans. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
Q. IWD की कुछ गतिविधियां क्या हैं?
Ans. मार्च, सम्मेलन और चैरिटी फंडरेज़र।
Q. IWD पर कुछ प्रसिद्ध महिलाएं कौन हैं?
Ans. मैरी कॉम, डॉ. मे जेमिसन और क्लारा ज़ेटकिन।
Q. 2025 IWD हैशटैग क्या है?
Ans. “#AccelerateAction”।
Q. कार्यस्थल IWD कैसे मना सकते हैं?
Ans. प्रशिक्षण सत्र आयोजित करें या कंपनी प्रतिज्ञाएं बनाएं।
Q. त्रिकोण आग क्या है?
Ans. 1911 की एक कारखाना आग जिसने खराब कार्य स्थितियों को उजागर किया।
Q. बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन क्या है?
Ans. 1995 में अपनाया गया महिलाओं के अधिकारों के लिए एक वैश्विक एजेंडा।
Q. IWD क्यों महत्वपूर्ण है?
Ans. यह लैंगिक असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाता है।
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