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Razia Sultan History: रजिया सुल्तान का इतिहास, शासनकाल की प्रमुख घटनाएं और उपलब्धियां

By Preeti Singh

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Razia Sultan History: रजिया सुल्तान का इतिहास, शासनकाल की प्रमुख घटनाएं और उपलब्धियां

मध्यकालीन भारतीय इतिहास सुल्तानों का इतिहास रहा है और इल्तुतमिश प्रथम वास्तविक दास वंश का सुल्तान था। यह किसी चमत्कार से काम नहीं था जब इल्तुतमिश ने अपने बाद अपनी पुत्री Razia Sultan ( रज़िया सुल्तान )को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और इसके पीछे कारण था कि उसके सभी पुत्र अयोग्य और विलासी प्रवृत्ति के थे।

लेकिन मुस्लिम समाज के पुरुषों के लिए यह एक अपमानजनक स्थिति थी कि उन्हें एक महिला के सामने सर झुकाना पड़ेगा इसलिए अमीरों और सरदारों ने इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात उसके सबसे बड़े पुत्र रुकनुद्दीन फिरोजशाह को सिंहासन पर बैठा दिया। आइये जानते हैं इस स्थिति को रजिया सुल्तान ने कैसे संभाला?

Razia Sultan History: रजिया सुल्तान का इतिहास, शासनकाल की प्रमुख घटनाएं और उपलब्धियां

Razia Sultan History: रज़िया सुल्तान का प्रारम्भिक जीवन

रज़िया सुल्तान गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश की पुत्री थी और उसका जन्म 1205 ईस्वी में हुआ था। उसकी माता का नाम तुर्कन खातून ( Turkan Khatun ) था। उस समय उसका पिता बदायूं,उत्तर प्रदेश का सूवेदार था। इल्तुतमिश कुतुबद्दीन ऐबक का दामाद था।

इल्तुतमिश ने रज़िया को हर तरह की शिक्षा दिलाई और वो एक योग्य लड़की के रूप में बड़ी हुई। इल्तुतमिश ने अपने पुत्रों की अयोग्यता को देखते होते हुए अपनी पुत्री को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।

यह उस समय ऐसी घटना थी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। यह इस बात का द्योतक है कि इल्तुतमिश रूढ़िवादी नहीं था। 12 अप्रैल 1236 को इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई। मगर अमीरों और सरदारों ने रज़िया के स्थान पर उसके भाई रक्नुद्दीन फ़िरोज़शाह को गद्दी पर बैठा दिया।

रज़िया अपनी किशोरावस्था से ही एक योग्य पुत्री थी। आवश्यकता पड़ने पर उसनेअपने पिता को प्रशासनिक और सैन्य मामलों में सहायता की और जिसके कारण इल्तुतमिश ने उसे कई प्रांतों में राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। अमीरों और सरदारों ने इल्तुतमिश की इच्छा के विपरीत रज़िया के स्थान पर उसके भाई को गद्दी पर बैठाया, मगर रज़िया ने हिम्मत नहीं हारी और उचित समय पर आक्रमण कर दिल्ली की गद्दी पर कब्ज़ा किया।

नामरज़िया सुल्तान
जन्म1205
जन्मस्थानबदायूं , उत्तर प्रदेश, भारत
शासन काल1236-1240
वंशगुलाम वंश
पिताइल्तुतमिश
मातातुर्कन खातून
नानाकुतुबद्दीन ऐबक
पूर्ववर्तीरुकनुद्दीन फ़ीरोज शाह
प्रेमीजमाल-उद-द्दीन याकूत (एक तुर्की दास )
पतिमलिक अल्तुनिया
उत्तरवर्तीवहराम शाह
मृत्यु1240
मृत्यु का स्थानकैथल

शाह तुर्कन की भूमिका और रुकनुद्दीन का पतन

रुकनुद्दीन अपने पिता की आशंका पर खरा उतरा और वह एक अयोग्य शासक सिद्ध हुआ। उसने शासन की बागडोर अपनी माता शाह तुर्कन के हाथों में सौंप दी। वास्तव में शाह तुर्कन एक तुर्की दासी थी। शाह तुर्कन के व्यवहार और निरंकुशता ने दरबार में कलह पैदा कर दिया।

रज़िया ने इस इस कलह का फायदा उठाते हुए सरदारों की सहायता से दिल्ली पर आक्रमण कर दिया। रुकनुद्दीन फिरोज शाह ने भागकर लोखरी में शरण ली, जहाँ से उसे गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया। कुल 7 माह का शक रहा रुकनुद्दीन 9 नवम्बर 1236 को मृत्यु को प्राप्त हुआ।

ऐसे बनी भारत की प्रथम मुस्लिम महिला शासिका

1236 में, शाह तुर्कन और रुकनुद्दीन के व्यवहार ने सरदारों और अमीरों को नाराज़ कर दिया और उन्होंने रज़िया के पक्ष में विद्रोह कर उसे गद्दी पर बैठा दिया, और इस प्रकार रज़िया दिल्ली सल्तनत के इतिहास की प्रथम महिला शासक बन गई। यद्यपि रज़िया का शासन मात्र चार वर्ष का रहा, मगर उसने अपने शासन के दौरान अनेक सुधार किये और एक पुरुष शासक के मुकाबले किसी भी मामले में काम प्रभावशाली नहीं रहा। अ

पने संछिप्त शासनकाल में उसने ऐसा प्रभाव छोड़ा कि आज भी उसके शासन और दृष्टिकोण को याद किया जाता है। एक तरह से रज़िया का शासन नारीवाद का प्रतीक था।

रजिया सुल्तान का शासनकाल-1236-1240

मध्यकालीन लेखक और विद्वान मिन्हाज-उस-सिराज के शब्दों में ” वह अपने समय की एक महान महारानी, तीव्र बुद्धि, न्यायप्रिय, परोपकारी, विद्वानों का आदर करने वाली, प्रजा से प्रेम करने वाली, युद्ध कला में प्रवीण और राजाओं के सभी आवश्यक प्रशंसनीय गुणों से संपन्न थी।

रज़िया सुल्तान और जमालुद्दीन याकूत कथित प्रेम कहानी

जमालुद्दीन याकूत और रजिया सुल्तान सल्तनतकाल के दो महत्वपूर्ण और विवादस्पद ऐतिहासिक शख्सियतें हैं।

जमालुद्दीन याकूत वास्तव में एक तुर्की दास था, सुल्तान इल्तुतमिश के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत प्रगति कर एक प्रमुख व्यक्ति बन गया। वह अपनी वफादारी, प्रशासनिक कौशल और सैन्य कौशल के लिए जाना जाता था। इल्तुतमिश ने उसकी योग्यता के पहचानते हुए उसे ख़ुफ़िया विभाग का प्रमुख बनाया, जिसे दीवान-ए-अर्ज कहा जाता था।

इसके अतिरिक्त उसे कई राज्यों में राज्यपाल भी नियुक्त किया गया। उसने अपने रणनीतिक कौशल और योग्यता के दम पर दिल्ली सल्तनत को मजबूती प्रदान की। रज़िया और याक़ूत के बीच की नजदीकियों ने दरबारियों को रज़िया का विरोधी बना दिया।

रज़िया अपनी प्रशासनिक क्षमताओं, सैन्य कौशल और धार्मिक सद्भाव को प्रोत्साहन देने के अपने प्रयासों के लिए इतिहास में पहचानी जाती है। रूढ़िवादी कुलीनों और विद्रोही दरबारियों के विरोध के बावजूद रज़िया एक लोकप्रिय शासिका थी और अपनी प्रजा के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई सुधारों को लागू किया।

हालाँकि, उसका शासन अल्पकालिक था और अंततः उसे अपने ही सौतेले भाई बहराम शाह के नेतृत्व में एक विद्रोह में अपदस्थ कर दिया गया और मार दिया गया।

रजिया सुल्तान और जलालुद्दीन याकूत की प्रेम कहानी का सच

रज़िया सुल्तान और जमालुद्दीन याकूत की प्रेम कहानी सल्तनतकाल के समय की रोमांस और शक्ति संघर्ष की एक प्रसिद्ध कहानी है।

रज़िया अपने पिता इल्तुतमिश की योग्य पुत्री थी, जिसने 13वीं शताब्दी 1236-1240 तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था। वह अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और बहादुरी के लिए प्रख्यात थी, उसे अल्पायु में ही युद्ध और राजनीति की कला में प्रशिक्षित किया गया था।

रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक मुस्लिम समाज में एक महिला होने के बावजूद, रज़िया को उसके पिता द्वारा उत्तराधिकारी घोषित किया गया, जो एक विवादास्पद परन्तु सही निर्णय था। हालांकि इससे उसके रिश्तेदार और दरबारी नाराज़ हो गए।

जमालुद्दीन याकूत एक तुर्की गुलाम था, जो इल्तुतमिश द्वारा ख़रीदा गया था और अपनी बुद्धि से और दरबारी पदोन्नति के माध्यम से एक विश्वसनीय सलाहकार और सैन्य प्रमुख बन गया। याक़ूत वफादारी, बहादुरी और बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता था, वह बेहद आकर्षक रूप और आकर्षक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था।

अनैतिहासिक स्रोतों के अनुसार, दरबार में साथ रहते हुए याक़ूत और रज़िया की नजदीकियां बढ़ी। जब रज़िया घोड़े पर चढ़ती थी तब याकूत उसे अपने हाथों का सहारा देकर चढ़ता था। दोनों ने अपने प्यार को बहुत गुप्त रखा, मगर उसके सौतेले भाइयों द्वारा उनके प्यार से पर्दा उठा दिया गया, जो रज़िया पर याकूत के बढ़ते प्रभाव से ईर्ष्या कर रहे थे।

उसके भाइयों ने रज़िया और याक़ूत के बीच मतभेद पैदा किये और अंततः रज़िया ने याक़ूत को दरबार से निर्वासित कर दिया।

याक़ूत और रज़िया के रिश्ते ने सरदारों को विद्रोह के लिए उकसाया और इस क्रम में सबसे पहले लाहौर के प्रांताध्यक्ष ने विद्रोह किया मगर रज़िया ने उसे कुचल दिया।

दूसरा विद्रोह भटिंडा के प्रांताध्यक्ष इख्तियारुद्दीन अल्तुनिया ने रज़िया का अधिपत्य स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ऐसे समय में याक़ूत और रजिया ने एक साथ अल्तूनिया के विरुद्ध चढ़ाई की मगर अल्तूनिया के तुर्की सरदारों ने रस्ते में याकूत की हत्या कर दी और अल्तूनिया ने रज़िया को बंदी बना लिया।

याक़ूत से अलग होने के बावजूद रज़िया उसके प्यार को भूल नहीं सकी और उसने अकेले शासन सँभालने का प्रयास किया। मगर दरबारी षड्यंत्रों और सरदारों के विरोध ने उसे कमजोर किया। रज़िया को अंततः मृत्यु का सामना करना पड़ा।

अल्तुनिया से विवाह और रजिया सुल्तान का अंत

रज़िया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला शासिका थीं और उसने 1236 से 1240 तक शासन किया। रज़िया शासक के रूप में किसी भी पुरुष शासक से काम नहीं थी। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती उसका महिला होना था, क्योंकि अमीर और सरदार उसके सामने झुकने में अपनी तौहीन समझते थे।

अल्तुनिया द्वारा बंदी बनाये जाने के बाद उसके भाई बहरामशाह को गद्दी पर बैठा दिया गया। इस स्थिति से निकलने के लिए रज़िया ने अल्तूनिया से विवाह कर लिया। इसके बाद अल्तूनिया और रज़िया ने सेना के साथ दिल्ली कूच किया। लेकिन जब वे कैथल पहुंचे तो अल्तूनिया की सेना ने उसका साथ छोड़ दिया।

13 अक्टूबर 1240 को बहराम शाह द्वारा दोनों को परास्त किया गया। अगले दिन दोनों का क़त्ल कर दिया गया। इस प्रकार एक महिला का अंत हुआ जिसने पुरुषों से भी अच्छा शासन किया।

रजिया सुल्तान की असफलता के कारण

रजिया सुल्तान भारत में दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक थी। उसके शासनकाल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो अंततः उसके पतन का कारण बना। रजिया सुल्तान की असफलता के कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

पितृसत्तात्मक रूढ़िवादी समाज: रज़िया सुल्तान ने एक ऐसे समाज में शासन किया जो गहरे तक एक पितृसत्तात्मक था, जहाँ महिला के सामने झुकना पुरुषों के लिए अपमानजनक था और यही रज़िया के पतन का कारण बना।

कुलीन वर्ग का विरोधः दरबारी सरदार और अन्य अमीर इल्तुतमिश के फैसले के पहले ही खिलाफ थे और उन्होंने उसकी मृत्यु के बाद उसके पुत्र रुकनुद्दीन को गद्दी पर बैठाया मगर वह अयोग्य सिद्ध हुआ और अंततः रज़िया को शासक बना दिया गया। मगर कुछ ही दिन में दरबारी उससे नाराज़ हो गए। उन्हें लगा था रज़िया महिला की तरह पुरुषों के हाथों में खेलेगी मगर उसने निडर होकर शासन किया।

अनेक विद्रोह: रज़िया को अपने अंत समय में सौतेले भाई मुइज़ुद्दीन बहराम से विद्रोह का सामना करना पड़ा, अंततः रज़िया और उसके पति अल्तूनिया को जान गंवानी पड़ी।

अपर्याप्त सैन्य सहायता: रज़िया और अल्तुनिया के पास अपर्याप्त सेना थी जिसके करना उन्हें बहराम शाह के विरुद्ध हार का सामना करना पड़ा। योग्य होते हुए भी दोनों को जान गंवानी पड़ी।

अलोकप्रिय नीतियां: रजिया एक धर्मनिरपेक्ष शासिका थी और उसने गैर-मुस्लिमों को उच्च पदों पर नियुक्त किया, जिसके कारण उसे उच्च मुस्लिम सरदारों के विद्रोह का सामना करना पड़ा।

निजी जीवन: रज़िया एक खुले विचारों की स्वच्छंद महिला थे और एक गैर-भारतीय मुस्लमान को दिल दे बैठी जिसे उसके दरबारी मुस्लमान सहन नहीं कर पाए।

रज़िया सुल्तान के बारे में रोचक तथ्य

  • रजिया सुल्तान सल्तनतकालीन पहली तथा अन्तिम मुस्लिम महिला शासिका थी।
  • रजिया ने पर्दा का त्याग कर दिया,वह पुरुष शासक की भांति पगड़ी पहनी और हाथी पर सवार होकर जनता के बीच जाती थी।
  • रजिया ने अपने प्रेमी अबीसीनियाई जमालुद्दीन याकूत को पदोन्नत करके शाही अस्तबल का प्रमुख (अमीर-ए-अखुर ) नियुक्त कर दिया।
  • रजिया के विरुद्ध प्रथम बार विद्रोह करने वाला लाहौर का गवर्नर कबीर खाँ था, जिसका रज़िया ने दमन किया।
  • दूसरा विद्रोही भटिंडा का गवर्नर अल्तुनिया था जिसने रज़िया को बंदी बना लिया और रज़िया को उससे विवाह करना पड़ा।
  • विवाह के बाद रज़िया और अल्तुनिया ने दिल्ली कूच किया मगर 13 अक्टूबर, 1240 को वहराम शाह ने रजिया को परास्त करके बन्दी बना लिया और अगले दिन रजिया और उसके पति की हत्या कर दी।
  • रजिया का शसनकाल 3 वर्ष और कुछ माह का रहा।
  • फरिश्ता के के शब्दों में ” वह शुद्ध अच्चारण वाली महिला थी और कुरान का नियमित पाठ करती थी तथा अपने पिता के जीवन-काल में प्रशासनिक कार्यों में मदद करती थी”।

निष्कर्ष

अंत में हम कह सकते है, रज़िया सुल्तान की विफलता को उसके लिंग, पुरुष कुलीनता से प्रतिरोध, विद्रोह, अपर्याप्त सैन्य समर्थन, अलोकप्रिय नीतियों और व्यक्तिगत विवादों सहित कारकों के संयोजन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इतिहास में रज़िया सुल्तान का स्थान बहुत ऊँचा है। उसकी योग्यता और साहस किसी पुरुष शासक से काम नहीं था।

रज़िया सुल्तान से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न- रजिया सुल्तान का इतिहास क्या है?

उत्तर- रज़िया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक शासन किया। वह इल्तुतमिश की पुत्री थी।

प्रश्न- रजिया सुल्तान किसकी बेटी थी?

उत्तर- रज़िया सुल्तान इल्तुतमिश की की पुत्री थी।

प्रश्न- रजिया का प्रेमी कौन था?

उत्तर- रज़िया सुल्तान ने अपने अंतिम समय में भटिंडा के गवर्नर अल्तूनिया से विवाह किया था।

प्रश्न- रजिया सुल्तान की मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर- रज़िया सुल्तान को उसके सौतेले भाई बहराम शाह द्वारा मारा गया।

प्रश्न- रजिया सुल्तान किसकी पत्नी थी?

उत्तर- रज़िया सुल्तान अल्तुनिया की पत्नी थी।

प्रश्न- रजिया सुल्तान के कितने बच्चे थे?

उत्तर- रज़िया सुल्तान की कोई संतान नहीं थी।

प्रश्न- रजिया सुल्तान को किसने मारा था?

उत्तर- रज़िया सुल्तान को उसके सौतेले भाई बहराम शाह ने मारा

प्रश्न- रजिया सुल्तान के पिता का नाम?

उत्तर- इल्तुतमिश रज़िया सुल्तान का पिता था

प्रश्न- रजिया सुल्तान की मृत्यु कब हुई?

उत्तर- रज़िया सुल्तान की मृत्यु 1240 में हुई।


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Preeti Singh

My name is Preeti Singh and I am a housewife. I am fond of writing and through this blog I will introduce you to the biographies of famous women.

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